आधा किलों घी में डूबी 100 रोटी खा जाते थे , इसके साथ लेते थे 6 देसी कड़कनाथ, 10 लीटर दूध- गामा पहलवान

कुश्ती की दुनिया में गामा पहलवान  का कद कितना बड़ा है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता हैं कि उनके जन्मदिन के मौके पर Google ने भी डूडल बनाकर उन्हें सम्मान दिया है. आज भी कही पहलवानों के ताकत की बात होती है तो सबसे पहले भारतीय पहलवान गामा का नाम लोगों के जुबान पर जरुर आता है. अपने 52 साल के कुश्ती करियर में एक भी मैच ना हारने वाले गामा पहलवान का आज 144वां जन्मदिन है. जाने उनसे जुड़ी कुच रोचक बातें

फुट 7 इंच के गामा पहलवान आजादी के दौर के पहले के पहलवान है.

इनका जन्म 22 मई 1878 को अमृतसर में हुआ था.

भारत-पाकिस्तान बंटवारे के समय यानी साल 1947 के बाद गामा पहलवान भारत के नहीं बल्कि पाकिस्तान चले गए.

Wrestling world champion गामा पहलवान अपनी डाइट में 6 देसी चिकन, 10 लीटर दूध, आधा किलो घी, बादाम का शरबत और 100 रोटी खा लिया करते थे.

वे हर दिन 3000 बैठक और 1500 दंड के साथ रोज 15 घंटे प्रैक्टिस करते थे.

हर रोज अपने गले से 54 किलो का पत्थर बांधकर 1 किलोमीटर तक भागा भी करते थे.

कुश्ती की रिंग में वे “द ग्रेट गामा” के नाम से मशहूर थे.

सन् 1910 में गामा को World Heavyweight टाइटल दिया गया था.

गामा की ताकत से प्रभावित होकर भारत घूमने आए प्रिंस ऑफ वेल्स ने उन्हें चांदी की गदा सम्मान के रूप में भेंट की थी.

5 फुट 7 इंच के औसत हाइट वाले गामा पहलवान ने उस दौर में लगभग हर लंबे पहलवान को धूल चटाई थी. और दुनिया में अपने नाम का डंका बजाया था.गामा पहलवान को रुस्तम-ए-हिन्द का खिताब भी मिला था. गामा पहलवान की मृत्यु 23 मई 1960 को पाकिस्तान के लाहौर में हुई थी. वे लंबे वक्त से बीमार थे।

 

 

Author: Sudha Bag

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