रायपुर) शिक्षाविद सुरेश शुक्ला हुए सम्मानित फेडरेशन ऑफ एजुकेशनल सोसायटीज व अशासकीय प्राचार्य मंच का आयोजन

रायपुर, 15 मई। फेडरेशन ऑफ एजुकेशनल सोसायटीज व अशासकीय प्राचार्य मंच के संयुक्त तत्वाधान में आज महंत लक्ष्मीनारायण दास महाविद्यालय के सभागार में शिक्षाविद सुरेश शुक्ला का अभिनंदन पत्र व शाल भेंटकर सम्मानित किया गया। इस मौके पर विशेष रूप से फेडरेशन ऑफ एजुकेशनल सोसायटीज के अध्यक्ष अजय तिवारी, प्रोफेसर एल.एस. निगम कुलपति शंकराचार्य विश्वविद्यालय दुर्ग, वरिष्ठ उपाध्यक्ष अशोक पटेल, उपाध्यक्ष आर.के. तिवारी, श्रीमती कुसम त्रिपाठी, सचिव शरद दुबे, कोषाध्यक्ष वी.के. मिश्रा, महासचिव ए.के. शर्मा, महंत कॉलेज के प्राचार्य डॉ. देवाशीष मुखर्जी, अशासकीय प्राचार्य मंच के अध्यक्ष अशोक दुबे, वामनराव लाखे उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की प्राचार्य श्रीमती भारती यादव, श्रीमती मंजू साहू, श्रीमती चोपड़ा सहित गणमान्य नागरिक विशेष रूप से कार्यक्रम सम्मिलित हुए।
उल्लेखनीय है कि श्री सुरेश शुक्ला को शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने के लिए डॉक्टर इन्द्रजीत घोष, एमएसएमई, सीसीएलएल, भारत शासन जन. डॉक्टर विक्रम सिंह देव तथा थियोफनी विश्वविद्यालय नई दिल्ली के दीक्षांत समारोह में डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया है। उनके इस सम्मान प्राप्त करने के अवसर पर यह आयोजन रखा गया था।
आयोजन में कुलपति प्रोफेसर एस.एल.निगम ने कहा कि समाज में विशेष कार्यों में योगदान के लिए यह उपाधि थियोफनी विश्वविद्यालय की ओर से प्रदान की जाती है। यह हर्ष का विषय है कि यह सम्मान शहर के प्रतिष्ठित शिक्षाविद सुरेश शुक्ला को प्राप्त हुआ है। उनके सम्मान से हम सभी गौरवान्वित हैं। उन्होंने ने बताया कि वे एक कुशल संगठनकर्ता जागरूक और कुशल व्यक्तित्व के धनी व्यक्ति हैं। वहीं श्री अजय तिवारी ने श्री शुक्ला को उपलब्धि पर बधाई और शुभकामनाएं दी। उनका कहना था कि वे निरंतर कुशल नेतृत्व के साथ उत्तरोत्तर प्रगति करें। जबकि अशासकीय प्राचार्य मंच के अध्यक्ष अशोक दुबे ने कहा कि किसी देश की उन्नति शिक्षा से तय होती है और यह उल्लेखनीय कार्य श्री शुक्ला ने निरंतर सेवाभाव से किया है। हम सभी उनके सम्मानित होने पर हर्षित हैं। श्री दुबे ने शिक्षा की स्थिति पर चिन्ता व्यक्त करते हुए बताया कि देश को जो स्थान शिक्षा के क्षेत्र में मिलना चाहिए, नहीं मिल पाया है। इसके अलावा कार्यक्रम में अशोक पटेल, प्राचार्य डॉ. देवाशीष मुखर्जी सहित विदवत्जनों ने विचार रखे तत्पश्चात वी.के.मिश्रा ने अभिनंदन पत्र का वाचन किया। अंत समान प्राप्त श्री शुक्ला ने समस्त मंच को अपने अनुभव साझा किए और कहा कि काफी समय पहले कुलपति प्रोफेसर एल.एस. निगम ने एक बात कही थी, जो मैं आज तक चरितार्थ करते रहा हूं। उन्होंने ने कहा था कि पूर्णिमा का चांद कभी मत बनना, एकल चांद बनकर चलना।

Author: Sudha Bag

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