माघ मेले में काशी और मथुरा मंदिर परिसर की भूमि को भी मुक्त कराने का प्रस्ताव पारित किया गया। संतों ने कहा कि दोनों स्थानों पर मुगलों के प्रतीक चिन्ह मिटाने पर विचार विमर्श किया जाएगा।
विश्व हिंदू परिषद के माघ मेला शिविर का मंगलवार को परेड ग्राउंड में भूमि पूजन करने के बाद काशी-मथुरा की मुक्ति की जमीन तैयार की गई। संघ और विहिप के पदाधिकारियों की मौजूदगी में राम मंदिर तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य स्वामी वासुदेवानंद ने माघ मेले में 11 फरवरी को होने वाले संत सम्मेलन की रूपरेखा पर चर्चा की। इस संत सम्मेलन से पहले विहिप के मार्गदर्शक मंडल की बैठक होगी।
उनका इशारा था कि अयोध्या को तो मुक्त करा लिया गया, लेकिन अब इसी माघ मेले में काशी-मथुरा को मुक्त कराना बाकी है। ऐसे में काशी-मथुरा की मुक्ति के प्रस्तावों को संत सम्मेलन में पारित कराने के संकेत दिए गए। माघ मेले में होने वाले कार्यक्रमों में सात जनवरी को मातृशक्ति सम्मेलन होगा। इसी तरह 10 फरवरी को मार्गदर्शक मंडल की बैठक होगी। इसी तरह 11 फरवरी को संत सम्मेलन होगा।
कई अन्य मुद्दों पर होगी चर्चा
श्रीराम जन्मभूमि पर विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में सम्मिलित होने वाले श्रद्धालु भी प्रयागराज आएंगे। संतों के सानिध्य में धर्मांतरण, गो हत्या, लव जिहाद जैसे विषयों पर मार्गदर्शन प्राप्त किया जाएगा। कहा गया कि इस बार के शिविर में शिविर में दासता के अनेक चिह्नों और प्रतीकों को मिटाने पर चर्चा होगी।
इस मौके पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र प्रचारक (पूर्वी उत्तर प्रदेश) अनिल,विश्व हिंदू परिषद काशी प्रांत के संगठन मंत्री नितिन,आरएसएस के सह प्रांत प्रचारक मुनेश, विहिप के काशी प्रांत अध्यक्ष कविंद्र प्रताप सिंह, प्रांत मंत्री कृष्ण गोपाल, विभाग प्रचारक आदित्य, प्रांतीय उपाध्यक्ष सुरेश अग्रवाल, अजय गुप्ता, विनोद अग्रवाल, कोषाध्यक्ष रविंद्र मोहन गोयल, विभाग संगठन मंत्री अंशुमान, महानगर अध्यक्ष संजय गुप्ता, महानगर मंत्री सत्य प्रकाश मिश्रा बबलू, आचार्य हरिकृष्ण शुक्ला, महंत यमुना पुरी, महापौर गणेश केसरवानी, फलाहारी आश्रम के महंत रामरतन दास,पूर्व मंत्री डॉ नरेंद्र कुमार सिंह गौर, किन्नर अखाड़ा से कौशल्या नंग गिरि टीना मां, राजकुमार दास मौजूद थे। भूमि पूजन के बाद बांध के पास सेवा बस्ती में अक्षत देकर राम जन्मभूमि के दर्शन के लिए आमंत्रण भी दिया गया।