राजस्थान में ऐतिहासिक नगर जोधपुर (मारवाड़) की उत्तर दिशा में प्रचिन मंडोर के मार्ग पर नई खाद्यान्न मंडी के मध्य से होते हुए पहाड़ों के बीच लाल सागर नामक एक अति रमणीय सरोवर है । इस भूमि पर मनोकामना पूर्ण करने वाली श्री संतोषी माता का प्राकृतिक प्राचीन मंदिर है, जिसके आस पास नीम पीपल वट वृक्ष व कई प्रकार वर्ट दृष्टिगोचर है । भारत में प्रथम श्रेणी का युगों पुराना प्राकृतिक तीर्थ है जो अपने आप में एक अदभुत विशेषता लिए हुए है। श्री मां के मंदिर के ऊपर पहाड़ी ऐसी छाई हुई हैं।मानो शेषनाग मातेश्वरी पर अपने फन से छाया कर रहा है। इसी पहाड़ी के अंदर उपर भाग में मातेश्वरी व सिंह का पदचिन्ह प्राक्रतिक बना हुआ है।
मंदिर के समीप एक अमृत कुंड है , जिसके ऊपर कई वर्षों से एक ही आकार में हरा भरा वट वृक्ष है, जिसके पास से मनोहर झरना बहता है , जहां पर भोलेनाथ की प्रतिमा विराजमान हैं ।
अनेक भक्तो की मनो कामना पूर्ण होने के फस्वरूप आज मंदिर विशालता को प्राप्त हो रहा है। प्रगट संतोषी माता की यह गाथा सुनकर खबर छत्तीगढ़ वेब पोर्टल न्यूज की टीम ने इस मंदिर में प्रवेश किया । वाहा आय कुछ पर्यटक एवं भक्त से इस मंदिर के बारे जाना । हमारी टीम की मुलाकात छत्तीगढ़ की कुछ लोगो अपनी टीम के साथ वाहा मौजूद थीं । छत्तीगढ़ से आई आॅल इंडिया एंटी करेपसन ह्यूमन राइट्स ओरिजीनेशन की प्रेसिडेंट सुश्री पायल पोपटानी से राजस्थान पहुंचने का कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि वह यहां अपने संस्था के काम से हमेशा आती है,तो उन्हें पता चला की यहां प्रकट संतोषी माता का मंदिर है यह जानकर वह अपने संस्था की टीम के साथ पहुंची उन्होंने कहा कि यह मंदिर अपने आप में अद्भुत व बेहदखूबसूरत है उन्होंने मंदिर के सौंदर्य दृश्य को देखते हुए यह तक कहा कि उन्हें जब भी यहां आने का मौका मिला तो वे यहां जरूर आएंगी। साथ ही उन्होंने खबर छत्तीसगढ़ पोर्टल न्यूज़ को धन्यवाद देते हुए कहा कि इस खबर के माध्यम से कहा कि राजस्थान आने वाले यात्रियों एवं पर्यटक संतोषी माता मंदिर को देखने के बाद लालायित हो उठें।