रायपुर, 22 जून 2020/ प्रदेश के किसान पुत्र, किसान हितैषी भूपेश बघेल एवं सिंचाई मंत्री रविन्द्र चौबे जो खुद एक किसान हैं के सार्थक प्रयास का ही प्रतिफल है जिससे पिछले 40 वर्षों से रुके परियोजना को गति प्रदान हुई यह कहना है प्रदेश के राजस्व एवं आपदा प्रबंधन मंत्री तथा सुकमा, दंतेवाड़ा और बीजापुर के प्रभारी जयसिंह अग्रवाल का उन्होंने कहा है कि बस्तर की जीवन रेखा इन्द्रावती नदी में प्रस्तावित बोधघाट परियोजना से 3 लाख 66 हजार हेक्टेयर में सिंचाई उपलब्ध होगा। इसमें दंतेवाड़ा जिले के 51, बीजापुर जिले के 218 तथा सुकमा के 90 इस प्रकार कुल 359 गांव लाभान्वित होंगे। उन्होंने कहा कि इन तीनों जिलों में खरीफ में एक लाख 71 हजार 75 हेक्टेयर, रबी में एक लाख 31 हजार 75 हेक्टेयर तथा गर्मी में 64 हजार 430 हेक्टेयर इस प्रकार कुल 3 लाख 66 हजार 580 हेक्टेयर में सिंचाई होगी। इसमें सुकमा जिले के 90 गांवों के एक लाख हेक्टेयर रकबा में सिंचाई होगी। इस परियोजना से सुकमा जिले के सिंचाई रकबा 12.16 प्रतिशत से बढ़कर 68.81 प्रतिशत हो जाएगा। इस प्रकार जिले की खरीफ सिंचाई रकबा में 60.59 प्रतिशत की वृद्धि होगी।
मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने कहा है कि इस परियोजना से मत्स्य उत्पादन का बड़ा जलक्षेत्र उपलब्ध होगा, जिससे प्रतिवर्ष 4824 टन मत्स्य उत्पादन होगा। इस परियोजना के निर्माण में 28 गांव पूर्ण रूप से तथा 14 गांव आंशिक रूप से डूबान में आएंगे, जिसमें सुकमा जिले के कोई भी गांव डूबान से प्रभावित नहीं हो रहा है। ‘सिंचाई में वृद्धि- राज्य की समृद्धि‘ के तहत राज्य सरकार की इस महत्वाकांक्षी परियोजना के अंतर्गत पेयजल, पर्यटन एवं नौका विहार आदि सुविधा भी उपलब्ध कराई जा सकेगी। इसमें लिफ्ट इरीगेशन को भी शामिल कर बस्तर के शेष जिलों को भी सिंचाई एवं निस्तार के लिए जल उपलब्ध कराया जाएगा। ज्ञातव्य है कि गोदावरी नदी की मुख्य सहायक नदी इंद्रावती छत्तीसगढ़ राज्य में कुल 264 किलोमीटर में प्रवाहित होती है। बहुउद्देशीय परियोजना कई उद्देश्यों की पूर्ति करता है। उन्होंने कहा कि प्रदेश और बस्तर संभाग की महत्वपूर्ण बहुउद्देशीय परियोजना इंद्रावती नदी पर प्रस्तावित बोधघाट परियोजना दंतेवाड़ा जिले के गीदम विकासखण्ड के पर्यटन स्थल बारसुर के समीप किया जाना है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का मानना है कि बोधघाट ऐसा प्रोजेक्ट है, जिसका लाभ सिर्फ और सिर्फ बस्तर के लोगों को मिलेगा। उन्होंने कहा कि अब तक बस्तर में जितने भी उद्योग और प्रोजेक्ट लगे हैं, उसका सीधा फायदा बस्तर के लोगों को नहीं मिला है। यह पहला ऐसा प्रोजेक्ट है, जो बस्तर के विकास और समृद्धि के लिए है। इसका सीधा फायदा बस्तरवासियों को मिलेगा। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के विशेष प्रयासों से 40 वर्षों से लंबित इस प्रोजेक्ट को बस्तर की खुशहाली को ध्यान में रखते हुए नए सिरे से तैयार किया गया है। बोधघाट परियोजना पहले मुख्य रूप से जल विद्युत उत्पादन के लिए थी, अब इसमें परिवर्तन कर इसे सिंचाई परियोजना के रूप में तैयार किया गया हैै। जिसका लाभ बस्तर संभाग ग्रामीणों और किसानों को मिलेगा। उन्होने कहा कि इंद्रावती नदी के जल का सदुपयोग कर बस्तर को खुशहाल और समृद्ध बनाने के लिए बोधघाट परियोजना जरूरी है। पुनर्वास एवं व्यवस्थापन की नीति लोगों से चर्चा कर तैयार की जाएगी। विस्थापितों को उनकी जमीन के बदले बेहतर जमीन, मकान के बदले बेहतर मकान दिए जाएंगे। हमारी यह कोशिश होगी कि इस प्रोजेक्ट के नहरों के किनारे की सरकारी जमीन प्रभावितों को मिले, ताकि वह खेती-किसानी बेहतर तरीके से कर सके।