छत्तीसगढ़ चेम्बर ने आम बजट हेतु आयकर के लिए केन्द्रीय वित्तमंत्री
श्रीमती निर्मला सीतारमण जी को सुझाव भेजा
छत्तीसगढ़ चेम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के प्रदेश अध्यक्ष अमर पारवानी, महामंत्री अजय भसीन, कोषाध्यक्ष उत्तम गोलछा, कार्यकारी अध्यक्ष राजेन्द्र जग्गी,विक्रम सिंहदेव,राम मंधान, मनमोहन अग्रवाल ने बताया कि दिनांक 12 जनवरी 2022, गुरूवार को छत्तीसगढ़ चेम्बर द्वारा पत्र प्रेषित कर आम बजट हेतु आयकर संबंधी सुझाव दिया गया। जिसकी प्रतिलिपि माननीय श्री सुनील सोनी जी, सांसद, रायपुर लोकसभा को भी दी गई।
=पत्र के माध्यम से बताया कि औद्योगिक एवं व्यापारिक संगठनों से प्राप्त आयकर संबंधी सुझाव निम्नानुसार हैः-
नगद लेन देन सीमा
धारा 269SS/269T अंतर्गत नगर लोन/डिपाजिट लेन-देन की सीमा जो कि वर्तमान में मात्र बीस हजार है उसे दो लाख किया जाना चाहिए।
धारा 40A(3) अंतर्गत नगद खरीदी-बिक्री की सीमा जो कि वर्तमान मे दस हजार है वह दो लाख तक होनी चाहिए।
मशीनरी, दुपहिया वाहन, चार पहिया एवं स्थायी संपत्ति (10 हजार से अधिक) नगद में खरीदने से अब डेप्रिसियेशन नहीं मिलेगा । जबकि इसे पूर्ववत रखना उचित रहेगा।
आयकर अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार, 2 लाख या अधिक रूपये से अधिक की राशि एक सौदों के बदले एक दिन में 1 अप्रैल 2017 के बाद नगद नहीं ली जा सकती है। इससे व्यापार उद्योग में नगदी प्रवाह मे रोक लगेगी ।
वेतन आय के स्थिति में 50000/- मानक छूट को बढ़ाकर 200000/- किया जाना चाहिए।
धारा 44ADA अन्तर्गत 50 प्रतिशत लाभ घोषित किये जाने वालों प्रावधानों में संशोधन करके, 30 प्रतिशत तक सीमा किया जाना चाहिए।
क्रेडिट कार्ड एवं डेबिट कार्ड से ट्रांजेक्शन करने पर लगने वाले स्वैपिंग चार्जेस को पूरी तरह माफ किया जाना चाहिए जिससे कि डिजीटल लेनदेन को बढावा मिले ।
हाउस प्रापर्टी संबंधित
हाऊसिंग लोन मे ब्याज की छूट 2,00,000 रूपये छूट है उसे बढ़ाकर रूपये 4 लाख तक किया जाना चाहिए।
कैपिटल एसेस्टस बेचने पर जिस तरह एक रेसिडेन्सियल हाऊस (घर) खरीदने पर समायोजन मिलता है, उसी प्रकार नये उद्योगों व विस्तार के लिए प्लंाट व मशीनरी खरीदने मे इन्वेस्ट करने पर समायोजन का लाभ मिलना चाहिए।
बिल्डर के लिए काल्पनिक किराये पर 12 माह के बाद टैक्स लगाना उचित नहीं है। वर्तमान समय में किराया आय पर 30 प्रतिशत से बढ़ाकर 40 प्रतिशत किया जाना चाहिए।
टी.डी.एस.
टी.डी.एस. काटने के लिए बैंक के ब्याज मे 40,000/50,000 रूपये तक तथा अन्य ब्याज पर 5,000 रूपये तक के ब्याज की छूट है इस लिमिट को बढाकर 1,00,000 रूपये कर दिया जाना न्यायसंगत होगा।
धारा 234 (ई):- जिसमें टी.डी.एस. के रिर्टन विलंब से प्रस्तुत किये जाने पर जो शुल्क (200 रूपये प्रतिदिन) विभाग द्वारा लिया जाता है उसे समाप्त किया जाना चाहिए ।
TDS AUDIT (QUARTERLY/HALF YEARLY) : TDS AUDIT के प्रावधानों को लाया जाना चाहिए ताकि स्ंतहम छवण् व िकमकनबजमम को निंयत्रण किया जा सके ।
टी.डी.एस. कटौतीकर्ता के द्वारा सही रिर्टन दाखिल न किये जाने के कारण आम करदाता को उनके टी.डी.एस. का क्रेडिट नहीं मिल पाता है इस पर टी.डी.एस./आयकर विभाग को विशेष ध्यान दिया जाना चाहिये ।
आयकर रिटर्न
2023-24 के लिए इनकम टैक्स स्लेब निम्न प्रकार से होना चाहिए जिससे देश में इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास को गति दी जा सकती हैं।
न्चजव 5 स्ंबे ण् छपस ज्ंग
500001 जव 1000000 5%ऽ1000001 जव 25 स्ंबे 10%
2500001 जव 50 स्ंबे 20%
।इवअम 50 स्ंबे 30%
पार्टनरशिप फर्म मंे आयकर की दर जो वर्तमान मे 30 प्रतिशत एवं कंपनी में 22 प्रतिशत है उसे घटाकर 20 प्रतिशत की जानी चाहिए ।
धारा 115 BBE . मध्यम वर्गो के द्वारा भरे गये इनकम टैक्स रिर्टन के सम्बंध में उचित जानकारी नही होती है। अतः धारा 115 बी.बी.ई. के प्रावधानों में रिलिफ दिया जाना चाहिए।
-नये बजट प्रावधानों के अनुसार रिर्टन विलंब करने पर पेनाल्टी को दिसम्बर तक छूट प्रदान की जानी चाहिए।
धारा 40 A ¼3½ के अन्तर्गत व्यय का नगद भुगतान करने पर 30 प्रतिशत व्यय को क्पेंससवू करके आयकर विवरणी में जोड़ा जाना चाहिए।
आयकर सर्च एवं सर्वे
आयकर के नियमों के नये प्रावधानों के अनुसार 10 वर्षो के रिकार्ड की जांच सर्च मंें की जा सकती है यह नियम व्यवहारिक नहीं हैं।
आयकर सर्च की स्थिति मे पूर्व के वर्षांे में 30 प्रतिशत पेनाल्टी लगाई जाती थी उसे यथावत रखा जावे।
सर्च के दौरान संपत्ति के प्रोविजन अटैचमेंट के जो प्रावधान बजट में लाये गये हैं वे अव्यवहारिक हैं।
व्यापारियों को यहां मांगलिक एवं शोक के कार्यों के समय सर्च व सर्वे के कार्य मानवीय आधारों पर नहीं किया जाना चाहिए ।
अन्य प्रावधानों में सुधार हेतु सुझाव
धारा-44 (AE) बजट 2019 में धारा-44 (AE) के अंतर्गत ट्रक व्यवसाय पर ग्राॅस वेट के हिसाब से लगाये गये इनकम टैक्स में संशोधन किया जाना चाहिय।
धारा 44 (AD) – छोटे एवं खुदरा व्यवसायियों को 5 प्रतिशत की दर से लाभ की गणना की जाये जो कि वर्तमान में 6 या 8 प्रतिशत है, यह अधिक है।
धारा- 44 AD के अंतर्गत मात्र बिक्री की सूचना (विवरण) लेनी चाहिए ।
धारा 44 (AB) टैक्स आडिट की लिमिट वर्तमान समय में 1 करोड़ है जिसे बढ़ाकर 5 करोड़ किया जाना चाहिये तथा इसमें कोई अन्य शर्त नहीं लगाई जानी चाहिये।
धारा 80 सी की लिमिट एक लाख पचास हजार रूपये से तीन लाख रूपये तक किया जाना चाहिए । मकान की किश्त के मूलधन भुगतान के लिए एक लाख रूपये अलग से प्रावधान हो।
धारा 80 डी: जो मेडिक्लेम इंश्यांेरेंस से संबधित है। चूंकि वर्तमान में मेडिकल इलाज महंगे हो गये है अतः इसकी सीमा 25,000/- को बढाकर कम से कम 1,00,000/- की महती जररूत है।
धारा-80 डी डी बीः-मेडिकल ट्रीटमेंट पर 40,000/1,00,000 रूपये की छूट है। इलाज महंगे हो गये है अतः इसे कम से कम 2,00,000/-रूपये तक केन्द्र शासन बढाये।
धारा-56 (2) :. के प्रावधानों के अनुसार रिश्तेदार से उपहार पर टैक्स नहीं है। जबकि धारा-56 (2) के प्रावधानों के अंतर्गत रिश्तेदार की परिभाषा का विश्लेषण करने के पश्चात् यह ज्ञात होता है कि पत्नि के कुछ रिश्तेदारों को भी रिश्तेदार की परिभाषा में शामिल किया जाना चाहिए।
ज्वांइट डेव्हलपमेंट के प्रकरणों मे कैपीटल गेन प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद लगेगा यह स्वागत योग्य है । यह सुविधा केवल व्यक्ति एवं एच.यू.एफ. तक सीमित है जो कि फर्म एवं कम्पनीज को भी होनी चाहिए जिन व्यापारियों की स्क्रूटनी लगातार 3 वर्षो तक हुई हो उसे अगले वर्ष की स्क्रूटनी से मुक्त रखा जावे, वर्तमान मे ऐसे कई व्यापारी है जिनकी स्क्रूटनी लगातार 10 वर्षो से हो रही है।
MAT की दर 15 प्रतिशत से 10 प्रतिशत की जानी चाहिए।
केपिटल गेन की गणना वास्तविक मूल्य पर होनी चहिए न कि स्टाम्प वेल्यू पर ।
प्रत्येक शहर में हालमार्किग सेन्टर खोली जाएं ताकि कारोबारियों को सुविधा मिले। 2 लाख से उपर खरीदी पर पेन कार्ड की अनिवार्यता भी अव्यवहारिक निर्णय है, इस पर सरकार को पुनर्विचार करना चाहिए।
वायदा बाजारः- कृषि जिन्सो पर वायदा शीघ्र बंद हों । इसमे किसानों का शोषण, व्यापारियों को झुठे आरोपों से मुक्ति तथा आम जनता को मंहगाई से राहत मिलेगी।
खुदरा व्यापार को बढ़ावा देने:- खुदरा व्यापार स्वरोजगार का सबसे बडा साधन है, लगभग साढे तीन करोड भारतीयों को खुदरा व्यापार रोजगार देता है।
कई बार करदाताओं को परेशान करने के उद्देश्य से अधिकारियों द्वारा एडीसन किया जाता है। ऐसी स्थिति में अधिकारियों को भी दोषी मानना चाहिए । जिससे जो पावर का दुरूपयोग होता है वह नहीं होगा
कर अधिकारी को रिफंड देरी से प्रदान करने बाबत् अपील का आदेश समयावधि मंे पालन न करने के लिए आदेशांे का पुनः निर्धारण समय पर न करने के लिये, कम दर के टी.डी.एस. काटने के आदेश न देने के लिए एवं सर्वे रिपोर्ट को समय पर न बनाने के लिये जिम्मेदार बनाया जाना चाहिए ।
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना का लाभ बैंक व्यापारियों को उचित ढंग से नहीं दे रहे हैं। स्थाई में इसके लिए ठोस प्रावधानों की आवश्यकता है। मुद्रा लोन की सीमा 10 लाख से बढ़ाकर 25 लाख किया जाना चाहिए।
श् पारवानी ने माननीया श्रीमती निर्मला सीतारमण केन्द्रीय वित्तमंत्री से निवेदन किया कि व्यापार एवं उद्योग के हित मंे आयकर संबंधी उपरोक्त सुझावों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करें।