कैट सौंप रहा प्रत्येक राज्य के वित्त मंत्री को वापिस लेने ज्ञापन

कैट सौंप रहा प्रत्येक राज्य के वित्त मंत्री को वापिस लेने ज्ञापन
00 18 जुलाई से आ जाएंगे जीएसटी के दायरे में
रायपुर। पिछले महीने चंडीगढ़ में हुई जीएसटी काउंसिलिंग की बैठक में जो निर्णय लिए गए उसमें दैनिक उपयोग में आने वाली खाद्य वास्तुओं को भी जीएसटी के दायरे में शामिल करने पर कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने विरोध करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री के नाम से राज्यों के वित्त मंत्री को ज्ञापन सौप रहे हैं। कैट ने कहा है कि किसी भी प्रकार का मार्का लगे हुए, दही, बटर, लस्सी, आटा, पोहा, गुड़ के साथ अन्य दैनिक रोजमर्रा की वस्तुओं में जीएसटी लगाना तर्क संगत नहीं है क्योंकि इससे आम आदमी और अत्यधिक प्रभावित होगा जो कि पहले से ही महंगाई की मार को झेल रहा है। कैट ने 18 जुलाई से लागू होने वाले इन वस्तुओं पर लगने वाले जीएसटी को रोके जाने की मांग की है। लागू होने की स्थिति में कैट इस मुद्दे को लेकर कोर्ट की शरण जाएगा।
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया, राष्ट्रीय महासचिव प्रवीण खंडेलवाल, राष्ट्रीय सचिव सुमीत अग्रवाल, छग चेंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष अमर परवानी, कैट के छग प्रदेश अध्यक्ष जितेंद्र जोशी ने संयुक्त पत्रकारवार्ता में बताया कि जीएसटी काउंसिल की बैठक 28 व 29 जून को चंडीगढ़ में हुई जिसमें सभी राज्यों के वित्त मंत्रियों ने किसी भी प्रकार का मार्का लगे हुए खाद्यान्न, दही, बटर, लस्सी, आटा, पोहा, गुड़ के साथ अन्य दैनिक रोजमर्रा की वस्तुओं पर 5 प्रतिशत के कर स्लैब में लाने की सहमति जता दी। जीएसटी काउंसिल ने इस पर मुहर लगा दी और एक नोटिफिकेशन जारी करते हुए इसे 18 जुलाई से पूरे देश भर में लागू करने का निर्णय ले लिया है। इसके विरोध में कैट ने कहा कि यह निर्णय छोटे निर्माताओं के साथ ही आम नागरिकों पर भी भारी पड़ेगा क्योंकि अब इन चीजों को खरीदने के लिए उन्हें 5 प्रतिशत जीएसटी चुकाना पड़ेगा। इस मामले पर सभी राज्यों की अनाज, दाल मिल सहित अन्य व्यापारिक संगठनों ने निर्णय लिया कि अपने-अपने राज्यों के वित्त मंत्रियों को ज्ञापन देकर इस निर्णय को वापिस लेने का आग्रह करेंगे। खेद का विषय है कि सभी राज्यों ने जीएसटी काउंसिल की बैठक में सर्वसम्मति से इसको पारित करने का खुद निर्णय लिया था। निर्णय लेने से पहले किसी भी राज्य के वित्त मंत्रियों ने व्यापारियों से इस संबंध में कोई जानकारी नहीं ली और पिछले दिनों जीएसटी काउंसिल ने एक नोटिफिकेशन जारी करते हुए आम जनता को जानकारी देते हुए बताया दिया कि 18 जुलाई से अब इन वस्तुओं पर 5 प्रतिशत जीएसटी देना होगा।कैट सौंप रहा प्रत्येक राज्य के वित्त मंत्री को वापिस लेने ज्ञापन
00 18 जुलाई से आ जाएंगे जीएसटी के दायरे में
रायपुर। पिछले महीने चंडीगढ़ में हुई जीएसटी काउंसिलिंग की बैठक में जो निर्णय लिए गए उसमें दैनिक उपयोग में आने वाली खाद्य वास्तुओं को भी जीएसटी के दायरे में शामिल करने पर कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने विरोध करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री के नाम से राज्यों के वित्त मंत्री को ज्ञापन सौप रहे हैं। कैट ने कहा है कि किसी भी प्रकार का मार्का लगे हुए, दही, बटर, लस्सी, आटा, पोहा, गुड़ के साथ अन्य दैनिक रोजमर्रा की वस्तुओं में जीएसटी लगाना तर्क संगत नहीं है क्योंकि इससे आम आदमी और अत्यधिक प्रभावित होगा जो कि पहले से ही महंगाई की मार को झेल रहा है। कैट ने 18 जुलाई से लागू होने वाले इन वस्तुओं पर लगने वाले जीएसटी को रोके जाने की मांग की है। लागू होने की स्थिति में कैट इस मुद्दे को लेकर कोर्ट की शरण जाएगा।
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया, राष्ट्रीय महासचिव प्रवीण खंडेलवाल, राष्ट्रीय सचिव सुमीत अग्रवाल, छग चेंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष अमर परवानी, कैट के छग प्रदेश अध्यक्ष जितेंद्र जोशी ने संयुक्त पत्रकारवार्ता में बताया कि जीएसटी काउंसिल की बैठक 28 व 29 जून को चंडीगढ़ में हुई जिसमें सभी राज्यों के वित्त मंत्रियों ने किसी भी प्रकार का मार्का लगे हुए खाद्यान्न, दही, बटर, लस्सी, आटा, पोहा, गुड़ के साथ अन्य दैनिक रोजमर्रा की वस्तुओं पर 5 प्रतिशत के कर स्लैब में लाने की सहमति जता दी। जीएसटी काउंसिल ने इस पर मुहर लगा दी और एक नोटिफिकेशन जारी करते हुए इसे 18 जुलाई से पूरे देश भर में लागू करने का निर्णय ले लिया है। इसके विरोध में कैट ने कहा कि यह निर्णय छोटे निर्माताओं के साथ ही आम नागरिकों पर भी भारी पड़ेगा क्योंकि अब इन चीजों को खरीदने के लिए उन्हें 5 प्रतिशत जीएसटी चुकाना पड़ेगा। इस मामले पर सभी राज्यों की अनाज, दाल मिल सहित अन्य व्यापारिक संगठनों ने निर्णय लिया कि अपने-अपने राज्यों के वित्त मंत्रियों को ज्ञापन देकर इस निर्णय को वापिस लेने का आग्रह करेंगे। खेद का विषय है कि सभी राज्यों ने जीएसटी काउंसिल की बैठक में सर्वसम्मति से इसको पारित करने का खुद निर्णय लिया था। निर्णय लेने से पहले किसी भी राज्य के वित्त मंत्रियों ने व्यापारियों से इस संबंध में कोई जानकारी नहीं ली और पिछले दिनों जीएसटी काउंसिल ने एक नोटिफिकेशन जारी करते हुए आम जनता को जानकारी देते हुए बताया दिया कि 18 जुलाई से अब इन वस्तुओं पर 5 प्रतिशत जीएसटी देना होगा।कैट सौंप रहा प्रत्येक राज्य के वित्त मंत्री को वापिस लेने ज्ञापन
00 18 जुलाई से आ जाएंगे जीएसटी के दायरे में
रायपुर। पिछले महीने चंडीगढ़ में हुई जीएसटी काउंसिलिंग की बैठक में जो निर्णय लिए गए उसमें दैनिक उपयोग में आने वाली खाद्य वास्तुओं को भी जीएसटी के दायरे में शामिल करने पर कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने विरोध करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री के नाम से राज्यों के वित्त मंत्री को ज्ञापन सौप रहे हैं। कैट ने कहा है कि किसी भी प्रकार का मार्का लगे हुए, दही, बटर, लस्सी, आटा, पोहा, गुड़ के साथ अन्य दैनिक रोजमर्रा की वस्तुओं में जीएसटी लगाना तर्क संगत नहीं है क्योंकि इससे आम आदमी और अत्यधिक प्रभावित होगा जो कि पहले से ही महंगाई की मार को झेल रहा है। कैट ने 18 जुलाई से लागू होने वाले इन वस्तुओं पर लगने वाले जीएसटी को रोके जाने की मांग की है। लागू होने की स्थिति में कैट इस मुद्दे को लेकर कोर्ट की शरण जाएगा।
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया, राष्ट्रीय महासचिव प्रवीण खंडेलवाल, राष्ट्रीय सचिव सुमीत अग्रवाल, छग चेंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष अमर परवानी, कैट के छग प्रदेश अध्यक्ष जितेंद्र जोशी ने संयुक्त पत्रकारवार्ता में बताया कि जीएसटी काउंसिल की बैठक 28 व 29 जून को चंडीगढ़ में हुई जिसमें सभी राज्यों के वित्त मंत्रियों ने किसी भी प्रकार का मार्का लगे हुए खाद्यान्न, दही, बटर, लस्सी, आटा, पोहा, गुड़ के साथ अन्य दैनिक रोजमर्रा की वस्तुओं पर 5 प्रतिशत के कर स्लैब में लाने की सहमति जता दी। जीएसटी काउंसिल ने इस पर मुहर लगा दी और एक नोटिफिकेशन जारी करते हुए इसे 18 जुलाई से पूरे देश भर में लागू करने का निर्णय ले लिया है। इसके विरोध में कैट ने कहा कि यह निर्णय छोटे निर्माताओं के साथ ही आम नागरिकों पर भी भारी पड़ेगा क्योंकि अब इन चीजों को खरीदने के लिए उन्हें 5 प्रतिशत जीएसटी चुकाना पड़ेगा। इस मामले पर सभी राज्यों की अनाज, दाल मिल सहित अन्य व्यापारिक संगठनों ने निर्णय लिया कि अपने-अपने राज्यों के वित्त मंत्रियों को ज्ञापन देकर इस निर्णय को वापिस लेने का आग्रह करेंगे। खेद का विषय है कि सभी राज्यों ने जीएसटी काउंसिल की बैठक में सर्वसम्मति से इसको पारित करने का खुद निर्णय लिया था। निर्णय लेने से पहले किसी भी राज्य के वित्त मंत्रियों ने व्यापारियों से इस संबंध में कोई जानकारी नहीं ली और पिछले दिनों जीएसटी काउंसिल ने एक नोटिफिकेशन जारी करते हुए आम जनता को जानकारी देते हुए बताया दिया कि 18 जुलाई से अब इन वस्तुओं पर 5 प्रतिशत जीएसटी देना होगा।

Author: Sudha Bag

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