रायपुर/12 जून 2022। राज्यसभा सदस्य विवेक भाजपा ईडी, सीबीआई, आईबी के सहारे से सरकार चलाना चाहती है। कांग्रेस इसका हर स्तर पर विरोध करेगी।
नेशनल हेराल्ड समाचार पत्र की स्थापना पं. जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल, पुरूषोत्तम टंडन, आचार्य नरेन्द्र देव, रफी अहमद किदवई और अन्य नेताओं द्वारा वर्ष 1937 में की गई, ताकि एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड नामक कंपनी को स्थापित करके देश में स्वतंत्रता आंदोलन को आवाज दी जा सके। 1942 से 1945 तक अंग्रेजों द्वारा ‘भारत छोड़ो’ आंदोलन के दौरान इस समाचार पत्र को प्रतिबंधित कर दिया गया था, जिसे महात्मा गांधी ने ‘‘राष्ट्रीय आंदोलन के लिये एक त्रासदी’’ के रूप में वर्णित किया था।
इस समाचार पत्र की संपादकीय उत्कृष्टता के बावजूद, नेशनल हेराल्ड समाचार पत्र निरंतर आर्थिक रूप से घाटे में जाता गया, जिसके परिणाम स्वरूप इसके द्वारा देय बकाया राशि 90 करोड़ रूपए तक पहुंच गई। इस संकट में फंसे नेशनल हेराल्ड समाचार पत्र की सहायता के लिये कांग्रेस पार्टी ने वर्ष 2002 से लेकर 2011 के दौरान लगभग 100 किश्तों में इसे 90 करोड़ रूपये ऋण दिया। इसमें महत्वपूर्ण ध्यान देने वाली बात यह है कि इस 90 करोड़ रूपए की राशि में से नेशनल हेराल्ड ने 67 करोड़ रूपए अपने कर्मचारियों के वेतन और वीआरएस का भुगतान करने के लिये उपयोग किए और बाकी की राशि बिजली शुल्क, गृह कर, किरायेदारी शुल्क और भवन व्यय आदि जैसी सरकारी देनदारियों के भुगतान के लिए इस्तेमाल की गई।
बीजेपी में बैठे लोग और उनके हितैषी, जो कि नेशनल हेराल्ड को दिए गए इस 90 करोड़ रूपये के ऋण को आपराधिक कृत्य के रूप में मान रहे हैं, ऐसा वह विवेकहीनता और दुर्भावना से अभिप्रेत होकर कह रहे हैं। यह सर्वथा अस्वीकार्य है।
किसी भी राजनीतिक दल द्वारा ऋण देना भारत में किसी भी कानून के तहत एक आपराधिक कृत्य नहीं है। फिर, कांग्रेस पार्टी द्वारा एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (1937 से कांग्रेस पार्टी से निकटता से जुड़ी और कांग्रेस की विचारधारा का समर्थन करने वाली कंपनी) को समय-समय पर कुल 90 करोड़ रूपये का ऋण देना कैसे एक आपराधिक कृत्य माना जा सकता है? इस ऋण को विधिवत रूप से कांग्रेस पार्टी के खातों की किताबों में दर्शाया गया था, जिसका विधिवत लेखा-जोखा किया गया और भारत के चुनाव आयोग को प्रस्तुत भी किया गया।
यहां तक कि चुनाव आयोग ने दिनांक 06.11.2012 के अपने एक पत्र के माध्यम से सुब्रमण्यम स्वामी को यह स्पष्ट करते हुए लिखा था कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जो किसी राजनीतिक दल द्वारा खर्च को प्रतिबंधित या नियंत्रित करता हो। इस प्रकार, स्वामी/भाजपा द्वारा लगाया गया आपराधिक कृत्य का आरोप स्पष्ट रूप से असत्य है।
नेशनल हेराल्ड को दिया गया यह 90 करोड़ रूपए का ऋण नेशनल हेराल्ड और उसकी मूल कंपनी एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड द्वारा चुकाना संभव नहीं था। इसलिए, इस 90 करोड़ रूपए के ऋण को एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड के इक्विटी शेयरों में परिवर्तित कर दिया गया था। चूंकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस इक्विटी शेयरों का स्वामित्व अपने पास नहीं रख सकती थी, इसलिए इस इक्विटी को सेक्शन-25 के अंतर्गत स्थापित ‘यंग इंडियन’, नामक नॉट-फॉर-प्रॉफिट कंपनी को आवंटित कर दिया गया।
श्रीमती सोनिया गांधी, राहुल गांधी, स्वर्गीय ऑस्कर फर्नांडिस, स्वर्गीय मोतीलाल वोरा, सुमन दुबे आदि इस ‘नॉट-फॉर-प्रॉफिट’ कंपनी की प्रबंध समिति के सदस्य हैं। ‘नॉट-फॉर-प्रॉफिट’ की अवधारणा पर स्थापित किसी भी कंपनी के शेयर धारक/प्रबंध समिति के सदस्य कानूनी रूप से कोई लाभांश, लाभ, वेतन या अन्य वित्तीय लाभ नहीं ले सकते है। इसलिए, श्रीमती सोनिया गांधी, राहुल गांधी या ‘यंग इंडियन’ में किसी अन्य व्यक्ति द्वारा किसी भी प्राप्ति या वित्तीय लाभ का प्रश्न ही नहीं उठता। इसलिए स्वामी/भाजपा का अवैध प्राप्ति या लाभ या वित्तीय अर्जन का दावा स्वाभाविक रूप से असत्य है।
नेशनल हेराल्ड की समग्र आय और सभी संपत्तियां एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड की अनन्य संपत्ति बनी हुई है। कारण बहुत सरल है। संपत्ति का स्वामित्व कंपनी, यानी एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड के पास है, किसी शेयर धारक के पास नहीं। एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड की किसी भी चल या अचल संपत्ति को किसी ने भी स्थानांतरित नहीं किया है और न ही ‘यंग इंडियन’ ने एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड से एक भी रुपया निकाला है।
भले ही ‘यंग इंडियन’ एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड को नियंत्रित करता है (क्योंकि इसके पास इसके 99 प्रतिशत शेयर हैं), यह अपने प्रबंध समिति के किसी भी सदस्य को एक भी रुपया नहीं दे सकता क्योंकि यह एक नॉट-फॉर-प्रॉफिट कंपनी है।
भले ही अगर प्रबंध समिति के सदस्यों द्वारा ‘यंग इंडियन’ कंपनी का परिसमापन/बंद कर दिया जाता है, तो भी इससे प्राप्त सकल आय केवल नॉट-फॉर-प्रॉफिट कंपनी को ही जा सकती है और कानूनी रूप से इसे शेयर धारकों/प्रबंध समिति के सदस्यों के बीच वितरित नहीं किया जा सकता है। वास्तव में, यह एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड की परिसंपत्तियों/संपत्तियों की हमेशा के लिए रक्षा करता है क्योंकि इसकी संपत्ति को कभी भी निजी व्यक्तियों द्वारा बेचा और उपयोग नहीं किया जा सकता है और यह हमेशा एक ‘कोई लाभ नहीं’ की अवधारणा पर स्थापित कंपनी के पास रहेंगी। इन परिस्थितियों में किसी आपराधिक कृत्य या निजी लाभ पाने का प्रश्न ही कहां उठता है?
श्रीमती सोनिया गांधी, राहुल गांधी और हमारे नेतृत्व का इरादा बड़ा स्पष्ट है। इरादा स्पष्ट रूप से यह सुनिश्चित करने का है कि नेशनल हेराल्ड, जो कांग्रेस पार्टी की विरासत का प्रतीक है, उसके मूल्य हमेशा जीवित रहें और हमारे आदर्शो और सिद्धांतों को व्यक्त करने में नेशनल हेराल्ड हमारी आवाज बना रहे।
यह सत्य की लड़ाई है। सत्य की हमेशा विजय हुई है और इस बार भी होगी। राहुल गांधी और कांग्रेस नेतृत्व इस ‘अग्निपरीक्षा’ से और ओजस्वी होकर उभरेंगे।
केवल गांधी परिवार को ही टारगेट किया जाता है। सब कुछ वैसे का ही वैसा है। गांधी परिवार को तंग करना है। उनको दोषी दिखाना है। उनको छवि धूमिल करना है। उनके विरूद्ध षड़यंत्र किया जा रहा है।
बीजेपी का यह तरीका है कि पहले लोगों को प्रेशर करो और जब सब बीजेपी ज्वाइन कर लेते है तो सब ठीक हो जाता है।
आप बताईये इसमें क्राइम क्या है। आज पूरी यंग इंडिया शेयर होल्डर है, जो 90 करोड़ का डेथ था उसको 90 करोड़ को इक्विटी में कंवर्ट करके दे दी गयी है। ये तो कंपनी के नियम में होता ही है।
हमारे लीडरशिप ने यह डिसाइड किया है वहां जाकर ईडी को पेश करेंगे, कल 13 जून को ईडी के ऑफिस जा रहे है। सोनिया गांधी जी की तबियत ठीक हो जायेगी तो ईडी ऑफिस जायेगी कि वे निर्णय ले चुकी है। हम इंक्वायरी इंविटेशन पेश करने को तैयार है। हमने कोई अपराध ही नहीं किया है तो डर किस बात का।