धन और बल का अहंकार खुद को शर्मसार करता है…. आचार्य चिन्मय दास
हनुमान और अर्जुन की परीक्षा में भगवान ने दोनों को पास किया….. संत चिन्मय दास
रायपुर, राजधानी के समता कॉलोनी स्थित खाटू श्याम मंदिर में चल रहे श्री राम कथा का समापन मंगलवार को हुआ नौवे दिन श्री राम कथा के समापन अवसर पर मारुति आश्रम बेलपाड़ा उड़ीसा से पधारे संत श्री चिन्मय दास जी से राम कथा आयोजन समिति के पदाधिकारियों और सदस्यों ने मुलाकात की इस दौरान सभी ने महाराज के मुखारविंद से जो राम कथा सुने है उनकी जमकर सराहना की और भविष्य में भी इस तरह की कथा सुनते रहने की बात आयोजन समिति के द्वारा की गई रामकथा के अंतिम दिन संत के द्वारा राम कथा प्रेमियों को कथा का रसपान कराते हुए कथा प्रसंग में बताया कि किसी को भी अपने बल धन और बुद्धि का अहंकार नहीं होना चाहिए जिस दिन इन सब का अहंकार हुआ उस दिन समझ लो कि उनके डूबने का समय आ गया है इसलिए हमें अपने धन और बल का है इंकार नहीं करना चाहिए।।।
श्री राम कथा में आगे संत चिन्मय दास महाराज श्री ने भक्तों को रामकथा के भाव सागर में डुबकी लगाते हुए बताया कि एक बार अर्जुन को अपने गांडीव धनुष को लेकर अभिमान हो गया था कि इनसे बड़ा शक्तिशाली कोई नहीं है पर भगवान ने हनुमान जी को याद कर उनकी परीक्षा ले ली और उनको समुद्र में सेतु बनाने के लिए कहा गया जब समुद्र में सेतु बनाया गया तब हनुमान जी ने अपनी शक्ति दिखाते हुए बाण के द्वारा बनाए गए सेतु को तोड़ दिया इससे अर्जुन का अभिमान चूर चूर हो गया।। बाद में भगवान स्वयं प्रकट होकर अर्जुन को समझाएं कि चाहे हमें कितनी भी सकती बल धन ऐश्वर्य मिले हमें इन सब का अभिमान और घमंड नहीं करना चाहिए क्योंकि देने वाले भी भगवान है और लेने वाले भी भगवान हैं जो चीज हमें यहां मिला है हम उनका सदुपयोग करें और सेवा करें।।
इस अवसर पर संत के द्वारा राम कथा सुनने के लिए पहुंचे सभी कथा प्रेमियों और श्रोताओं को आशीर्वाद देते हुए उनके उज्जल भविष्य की कामना की इस अवसर पर भक्तगण भक्ति में झूमते नजर आए ।।।