क़रीब 20 साल पहले 2002 में मुरहू प्रखंड के गनालोया गांव के पन्नालाल महतो की उम्र 19 साल थी. आम युवाओं की तरह काम की तलाश में उन्होंने दिल्ली जाने का फ़ैसला किया था।
तब उनके गांव से रांची आने में 4 -5 घंटे लग जाते थे. खूंटी इलाके के इस गांव के लोग मुरहू तक पैदल आते, फिर किसी टेंपो या भाड़े की जीप यात्रियों से पूरी तरह भर जाने के बाद उन्हें रांची के बिरसा चौक तक छोड़ती।
गनालोया के चैता गंझू के बेटे पन्नालाल महतो का इरादा दिल्ली में दो-तीन हज़ार की नौकरी हासिल करने का था. लेकिन साल 2019 में झारखंड पुलिस ने जब उन्हें गिरफ़्तार किया, तो उनके पास फार्च्यूनर गाड़ी थी।
अब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दावा किया है कि पन्नालाल महतो ने झारखंड से अब तक क़रीब 5,000 लोगों की ट्रैफिकिंग करने की बात स्वीकार की है. यह भी बताया है कि उनके पास साढ़े चार से पांच करोड़ की संपत्ति है, जो उन्होंने ह्यूमन ट्रैफिकिंग (यानी मानव तस्करी) से कमाई है।
ईडी ने उनके इक़बालिया बयान और अपनी अब तक की जांच के आधार पर रांची की विशेष अदालत में प्रिवेंशन ऑफ़ मनी लाउंड्रिंग एक्ट (पीएमएलए)- 2002 के तहत प्रॉसिक्यूशन कंप्लेन (पीसी) दाख़िल की है. इसे चार्जशीट के समकक्ष माना जाता है।