कृषि व श्रम कानून वापस लेने और मोदी सरकार की जनविरोधी नीतियों में बदलाब की मांग

9 अगस्त 2021
ट्रैड यूनियनों का संयुक्त मंच
भारत बचाओ” दिवस के देश व्यापी आह्वान पर प्रदेश भर में हुए जबरदस्त प्रदर्शन
 कृषि व श्रम कानून वापस लेने और मोदी सरकार की जनविरोधी नीतियों में बदलाब की मांग

कोरोना महामारी की आड़ में मेहनतकश जनता के लिए श्राप और पूँजीपतियों के लिए वरदान साबित हो चुकी मोदी सरकार के खिलाफ़ केंद्रीय ट्रैड यूनियनों और फेडरेशनों के राष्ट्रीय आह्वान पर आज छत्तीसगढ के मज़दूरों ने भी सफलतापूर्वक “भारत बचाओ दिवस” मनाया। करोना के प्रभाव के बावजूद मज़दूरों ने गगनभेदी नारों के साथ भारी संख्या में कार्यक्रम को सफल बनाया। 

रायपुर में रेलवे स्टेशन पर जवरदस्त प्रदर्शन को संबोधित करते हुए एम के नंदी, धर्मराज महापात्र, एस सी भट्टाचार्य, शिरीष नालगुंडवार, सुरेन्द्र शर्मा, नवीन गुप्ता ने कहा कि कोरोना की आड़ में जहाँ एक तरफ छँटनी, तालाबंदी, वेतन कटौती और बेरोज़गारी के बीच हमारे हाथों में आने वाली आमदनी लगातार घटती जा रही है, वहीं सरसों तेल, आटा, चावल, सब्ज़ी, दूध समेत आम इस्तेमाल की चीज़ों के दामों में मानो आग लगी हुई है। काम करने वाले हाथ बढ़ने के बावजूद परिवार का पेट भर नहीं पा रहा है।

एक ओर तो तेल कंपनियों को मुनाफ़े की छूट और मोदी सरकार अपनी तिज़ोरी भरने के लिए हर दिन पैट्रोल-डीजल-रसोई गैस के दाम बढ़ा रही है, जिसका असर बाकी हर चीज़ की कीमतों पर पड़ रहा है। वहीं दूसरी ओर, आवश्यक वस्तु अधिनियम में बदलाव के बाद जमाखोरों को दाम बढ़ाने का खुला लाइसेंस दे दिया गया है। इसी के साथ-साथ पिछले दो साल में मालिकों को वेतन कटौती और मज़दूरों को अपनी मर्जी से निकालने की खुली छूट दे दी गई है। केंद्र सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी हुई हैं, श्रम विभाग पंगू बना दिये गए हैं और सारे श्रम कानून कागज़ी शेर बन चुके हैं जिन्हें मालिक धरल्ले से तोड़े जा रहे हैं। 99 फीसदी मज़दूर न्यूनतम वेतन से कम पर काम करने पर मजबूर हैं । इस साल जब 70 दिन के लॉकडाउन में श्रमिक बेरोज़गार रहे तब मालिकों की कोई जवाबदेही नहीं तय की गई और अधिकतर मज़दूरों को कोई आर्थिक सहायता नहीं दी गई। रेहड़ी-पटरी श्रमिक, घरेलू कामगार महिलाएं समेत विराट असंगठित क्षेत्र के मज़दूरों को न तो इस साल और न ही पिछले साल कोई आर्थिक मदद मिल सकी।

केंद्र की मोदी सरकार के 7 साल हो चुके हैं। इन 7 सालों में मज़दूर घटते वेतन, बढ़ती मँहगाई और बिना किसी सामाजिक सुरक्षा के दाने-दाने को मोहताज बना दिये गए हैं, वहीं मालिकों के पक्ष में लाए गए 4 लेबर कोड व 3 कृषि कानूनों जैसे कदमों के चलते कॉरपोरेट्स के मुनाफ़े दिन दुगनी रात चौगुनी की रफ़्तार से बढ़ रहे हैं। पिछले साल के लॉकडाउन से लेकर अबतक मुकेश अंबानी ने हर मिनट 90 करोड़ के मुनाफ़े कमाए हैं। 

कई अर्थशास्त्रियों ने बार-बार कहा कि मेहनतकशों को भुखमरी से बचाने और सिकुड़ती अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने का एकमात्र रास्ता सभी गैर-आयकरदाता परिवारों को नकदी सहायता मुहैया कराना है। परंतु यह करने के बजाय मोदी सरकार ने मालिकों को ऋण माफी, सस्ते ऋण, टैक्स माफी आदि की सौगात देती रही। यह हर सरकारी प्रतिष्ठान (उत्पादनः बीपीसीएल, आयुध कारखानों, स्टील; बिजलीः कोयला,बिजली; सेवाएंः रेलवे, एयर इंडिया, हवाई अड्डे; वित्तीय क्षेत्रः बैंक, एलआईसी, जीआईसी; कृषि और भंडारण) को बेचने और उन्हें निजी हाथों में सौंपने पर आमादा है। 

मज़दूर वर्ग नें न केवल इन सभी हमलों का डटकर मुक़ाबला किया बल्कि कई मौकों पर सरकारों को पीछे भी धकेलने का काम किया। आज का प्रदर्शन संघर्षों की इसी धारावाहिकता का हिस्सा था। आज के प्रदर्शन में सीटू , इंटक के साथियों के अलावा बैंक, बीमा, राज्य , केंद्र कर्मचारी, दावा प्रतिनिधिधि, रेल कर्मचारी, छात्र, युवा संगठनों के अलेकजेंडर तिर्की, वी एस बघेल, के के साहू, संदीप सोनी, टी के मिश्रा, ललित वर्मा, राजेश अवस्थी, प्रदीप मिश्रा, नवीन गुप्ता, राजेंद्र सिंह, सुधाकर, आर्थो, मनोहर साहू, हर्षवर्धन शर्मा, ए के मणि, चंद्रशेखर तिवारी, देवेंद्र पटेल,देवेंद्र सोरी, गजेंद्र पटेल, राजेश यादव, साजिद राजा, मनोज देवांगन सहित सैकड़ों साथियों ने हिस्सा लिया। इसके पूर्व सुबह रेल कर्मियों ने डी आर एम कार्यालय के समक्ष भी प्रदर्शन किया ।

प्रदर्शन के जरिये निम्न माँगें  उठाई गई : 

पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस, खाने-पीने की वस्तुओं, खाद्य तेल के दाम नियंत्रित करो। आवश्यक वस्तु अधिनियम में पूंजीपतियों के हक में किए गए बदलाव रद्द करो, इसे जनहितैषी बनाओ।

श्रमिक विरोधी 4 लेबर कोड, कृषि कानून, बिजली बिल 2020, आवश्यक प्रतिरक्षा सेवा अध्यादेश 2021 व अन्य श्रमिक विरोधी, जन विरोधी कानून रद्द करो। 

छंटनी व वेतन कटौती बंद करो। छंटनी हुए श्रमिकों को सरकार 7500/-रू0 प्रतिमाह मदद करे व गैर कानूनी वेतन कटौती कर रहे हर मालिक को दंडित कर, श्रमिक को कमपेंसेट करे। रोजगारों का सृजन करो, शहरी रोजगार गारंटी योजना लागू करो। काम के अधिकार को मौलिक अधिकार घोषित करो।  

गैर आयकर दाता, सभी परिवारो को 7500/रू. प्रतिमाह व प्रति व्यक्ति 10 किलो राशन व रसोई का पूरा सामान दो।

सभी स्तर पर बजट आवंटन बढ़ा जन स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत बनाओ। जल्द मुफ़्त टीकाकरण सुनिश्चित करो। 

रक्षा, रेलवे, बीपीसीएल, बैंक, एलआईसी, व अन्य सरकारी व सार्वजनिक क्षेत्र का निगमीकरण-निजीकरण बंद करो। 

असंगठित श्रमिक समाजिक सुरक्षा कानून 2008 के अनुसार इन मजदूरों के कल्याण हेतु समाजिक सुरक्षा बोर्ड का जल्द गठन किया जाए।  असंगठित क्षेत्र के मजदूरों की पहचान कर रजिस्ट्रेशन किया जाए।

घरों में काम करने वाले घरखाता कामगार, घरेलु कामगार व कूड़ा बीननेे वालों को कामगार का दर्जा दिया जाए। 
प्रदेश के रायगढ़, कोरबा, अंबिकापुर, धमतरी, बिलासपुर, राजहरा, भिलाई, कोरबा सहित सभी जिला मुख्यालयों में भी प्रदर्शन आयोजित किए गए ।

 

Author: Sudha Bag

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