प्रदेश में राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत जीवन कौशल और आत्महत्या रोकथाम पर 8 जिलों के सोशल वर्कर, सायकेट्रिक नर्स और कम्युनिटी मोबिलाइजर के लिये आज से चार दिवसीय कार्यशाला का शुरू हुई। प्रशिक्षण कार्यशाला में निमहंस ( नेशनल इंस्टीट्यूट आफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंस) बैंगलूरू से मनोरोग पर प्रशिक्षण प्राप्त सहयोगी प्रशिक्षण दे रहे है ।
इस अवसर पर बोलते हुए ज्वाइंट डायरेक्टर (मानसिक स्वास्थ्य) डॉ.प्रशांत श्रीवास्तव ने प्रतिभागियों से कहा:‘’ प्रशिक्षण का उद्देश्य आपके कौशल को निखारना है । आपके द्वारा प्रशिक्षण प्राप्त करने के उपरांत नीचे तक प्रशिक्षण को पहुंचाना और प्रशिक्षण में मिली जानकारी को हुनर के रूप में इस्तेमाल करना है । समाज के सभी वर्गों के लोग जुड़कर आत्महत्या करने वाले नागरिकों की रोकथाम के लिये गेट कीपर का काम करें ।‘’
उप संचालक,राज्य मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. महेंद्र सिंह ने कहा मानसिक रोग छुआछूत से नहीं फैलता। यह बीमारी किसी को भी हो सकती है, यहां तक की बच्चे भी इससे अछूते नहीं है। लोगों में बढ़ रही आत्महत्या की प्रवृति चिंतन का विषय है।‘’
उन्होंने कहा इसके रोकथाम के लियें शासन ने पहल की है। प्रत्येक स्तर से आत्महत्या की प्रवृत्ति को रोकने का प्रयास किया जा रहा हैं। आत्महत्या की प्रवृत्ति को रोकने के लिए जीवन कौशल के विषय को गहराई से समझना होगा । ’
निमहंस बैगलूरु से प्रशिक्षण प्राप्त राज्य मानसिक चिकित्सालय सेन्द्री बिलासपुर से आए प्रशिक्षक प्रशांत रंजन पांडे ने बताया इस प्रशिक्षण का उद्देश्य नए साथियों को जीवन कौशल के साथ साथ आत्महत्या को रोके साथ ही आत्महत्या के पूर्व किये जाने वाले संकेतों को पहचानना और जीवन कौशल के साथ जीवन को नई दिशा दिये जाने पर प्रतिभागियों को गतिविधि आधारित समूह चर्चाकरके समझाया गया।
वहीं निमहंस बैगलूरु से प्रशिक्षण प्राप्त स्पर्श क्लीनिक ज़िला अस्पताल रायगढ़ से आए प्रशिक्षक अतित राव ने कहा ‘’यह प्रशिक्षण प्रदेश में अपने आप में एक नई पहल है जिसमें गतिविधि आधारित के साथ-साथ खेल खेल के माध्यम से प्रतिभागियों को मानसिक बीमारियों के बारे में बताया जा रहा है ।