सामाजिक कार्यकर्ता की याद में बाटे फल और राशन गरीबो और मासूम बच्चों को उनकी जरूरत की सामग्री ।

रायपुर। शहर के सामाजिक कार्यकर्ता राजकुमार कुकरेजा के वर्सी कार्यक्रम के दौरान राजधानी के अनाथ आश्रमों और गरीब बच्चों को फल, गरीबों को राशन और आश्रमों में कपड़े तथा जरुरत की सामग्री भेंट की गई। गौरतलब है कि स्व. राजकुमार कुकरेजा एचआईवी पीडि़त बच्चों की एक दशक से सेवा करते थे, उनके उपचार से लेकर खाने की सामग्री वे स्वयं दान करते थे। उनके बाद इस कार्य को उनकी पत्नी डॉ. सपना कुकरेजा बखूबी निभा रही है। अचानक हार्ट अटैक से मृत्यु की खबर ने शहर वासियों को झकझोर दिया था। खासकर मीडिया जगत के लोग और कला ्रपे्रमी के साथ साथ शहर के सभी अनाथ आश्रम, छात्रावासों वृद्धाश्रम के बुजुर्ग हथप्रभ थे। महिलाओं को सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ सामने आने के लिए श्री कुकरेजा जाने जाते थे। बच्चियों का टैलेंट निखारने से लेकर शिक्षा-दीक्षा और विवाह के लिए आर्थिक मदद करने में आगे थे। सोमवार को सुपर स्टेट कॉलोनी, न्यूपूरेना महावीर नगर, गोलछा पार्क के पास शहर के 400 से अधिक गरीब, परिवारों, जरूरतमंदों को फल, राशन का वितरण किया गया। इस दौरान सेव, केला, चेरी, मौसंबी, तरबूज सहित राशन के अलग-अलग 400 पैकेट बनाए गए थे। बच्चों के लिए चिप्स, चाकलेट के अलग से 200 पैकेट बनाए गए थे। जिसे वितरित किया गबच्चों में दिखी मायूसी
कार्यक्रम में पहुंचे बच्चों और बड़ों के चेहरे में मायूसी स्पष्ट झलक रही थी। अपने बीच स्व.श्री कुकरेजा को न पाकर बच्चे गिफ्ट के बावजूद उत्साहित नहीं दिखे। इस दौरान श्रीमती सपना कुकरेजा ने उन्हें ढांढस बधाया। कुछ बुजुर्ग भावुक हो उठे। 130 से अधिक बच्चे अलग-अलग टुकडिय़ों में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए ।
पति का सपना करुंगी साकार
वर्सी कार्यक्रम के दौरान डॉ. सपना कुकरेजा ने कहा कि पति के सपने को साकार करना अब उनके जीवन का मकसद बन गया है। मैं ताउम्र गरीब तबके से लेकर हर जरुरतमंदों की सेवा के लिए हमेशा तैयार रहूंगी। और बहुत जल्द राजकुमार कुकरेजा के नाम से एक ट्रस्ट समिति संचालित कर उनके सपने को साकार करुंगी। श्रीमति कुकरेजा ने कहा कि आज वास्तव में जो जरुरतमंद है उनकी सेवा ही ईश्वर की सेवा ऐसा मानना उनके पति का है। मातारानी सदैव मुझे प्रेरित करती हैं। और मैं इस लक्ष्य को पूरा करने की प्रयास करुंगी। इस दौरान शहर के समाजसेवी, पत्रकार और कलाकार शामिल हुए।

Author: Sudha Bag

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