*लॉक डाउन को सफल बनाने में सबसे बड़ी भूमिका निभाने वालों को भी हम सब को आदर एवं सम्मान के साथ याद रखना होगा*
*एक दौर वह भी था जब देश की 37 करोड़ आबादी को भरण पोषण प्रदान करने में हमें दूसरे देशों पर आश्रित होना पड़ता था एक दौर यह भी है कि लगभग डेढ़ अरब जनसंख्या को पोषण प्रदान करने में भारत आत्मनिर्भर है*
*सुख और दुख का समय हमेशा के लिए नहीं होता यह आते-जाते रहता है*
देश की महामारी को हम लोगों ने जितना बड़ा समझा था शायद यह उससे भी भारी है विश्व के अनेक विकसित देश जो सभी मायने में साधन संपन्न हैं उन्हें अपने देश को बचाए रखने में जहां एक ओर एड़ी चोंटी का जोर लगाना पड़ रहा है वहीं दूसरी ओर भारत जैसा विकासशील देश अपने आप को बचाए रखने में काफी हद तक कामयाब रहा है यह देशवासियों की कर्तव्यनिष्ठा का परिणाम है यह बातें श्री दूधाधारी मठ पीठाधीश्वर एवं पूर्व विधायक राजेश्री डॉक्टर महन्त रामसुन्दर दास जी महाराज ने प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से अभिव्यक्त की उन्होंने कहा कि देश के सामने एक बहुत बड़ी चुनौती है एक तरफ हमें अपने स्वास्थ्यगत् आंतरिक समस्याओं से जूझना पड़ रहा है दूसरी ओर लगभग डेढ़ अरब की जनसंख्या वाले इस विशाल देश के प्रत्येक नागरिकों तक पोषण आहार पहुंचाने की जवाबदारी है, इन दोनों ही समस्याओं ने एक साथ आक्रमण करके न केवल भारतीय अर्थव्यवस्था का बल्कि विश्व के समस्त देशों का हाल बेहाल कर रखा है, शायद ऐसी ही समस्याएं हमारे पूर्वजों के साथ भी आती रही हैं इसीलिए देश के पूर्व प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री जी ने ‘जय जवान जय किसान’ का नारा दिया था आज पुनः समाज के समक्ष वैसे ही समस्याएं विद्यमान हैं। एक तरफ हमारे देश के जवान इस विशाल जनसंख्या को उनकी स्वास्थ्य की रखवाली को ध्यान में रखते हुए नियंत्रित करने में दिन-रात अपना पसीना बहा रहा है, डॉक्टर, विशेषज्ञ एवं उनका संपूर्ण स्टाफ फील्ड पर लगा हुआ है तो दूसरी ओर देश का अन्नदाता किसान भी अपने- अपने खेतों, बाड़ी -बखरी, गौशाला आदि में अन्न, शाक- सब्जी, दूध जैसे मूलभूत पदार्थों का उत्पादन कर देश के नागरिकों तक पहुंचाने में लगा हुआ है हमें इनका भी हृदय से धन्यवाद करना चाहिए। आजादी के पश्चात देश ने तेजी से विकास प्राप्त किया है पहले हम अपने देश के 37 करोड़ जनता का भरण- पोषण कर पाने में असमर्थ थे हमें विदेशों का मुंह ताकना पड़ता था लेकिन बाद के वर्षों में श्रीमती इंदिरा गांधी ने सुनियोजित ढंग से देश के विभिन्न क्षेत्रों में बड़े-बड़े बांधों का निर्माण कर नहर का जाल बिछाया जिससे देश में हरित क्रांति का सूत्रपात हुआ और खाद्यान्न के मामले में देश ने आत्मनिर्भरता प्राप्त की, आज हम सब इस बात पर गौरवान्वित हैं कि इतने बड़े लॉक डाउन के पश्चात भी हम विश्व के दूसरे सबसे बड़े विशाल जनसंख्या वाले देश को पोषण प्रदान कर पाने में सक्षम एवं आत्मनिर्भर हैं। निःसंदेह यह हमारे पूर्वजों के द्वारा किए गए सुनियोजित विकास का परिणाम है, प्रधानमंत्री जी ने लाँक डाउन 3 मई तक आगे बढ़ाने की घोषणा की है, हमारे राज्य के माननीय मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल जी इससे पहले ही राज्य की जनता को अवगत करा चुके हैं कि लॉक डाउन राज्य के हित में आगे बढ़ाना पड़ेगा। संपूर्ण समाज में विवाह या सुख-दुख के कार्य सब कुछ इससे प्रभावित हुआ है इसलिए कुछ लोगों की भले ही यह अवधारणा रही है कि कड़ाई में कुछ ढील प्रदान की जाए लेकिन वर्तमान परिस्थिति में यह संभव भी नहीं है। कुशल वैद्य का देश एवं राज्य के हित में लिया गया निर्णय स्वागत योग्य है रामचरितमानस में गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज ने लिखा है – कुपथ माग रुज ब्याकुल रोगी, वैद्य न देहि सुनहु मुनि जोगी।। रोग ग्रस्त व्यक्ति भले ही बार-बार कुपथ मांगता है, तब कुशल वैद्य इन पर ध्यान नहीं देते वह तो उनके स्वास्थ्य की रक्षा के लिए चिंतित रहते हैं। ऐसे ही हमारी सरकार भी हम सब के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए चिंतित हैं जो सराहनीय है। हम सब को भी अपने उत्तम धैर्य का परिचय देते हुए सरकार के नियमों का विधिवत पालन करना है, संसार में सुख और दुख का समय हमेशा के लिए नहीं है यह आते जाते रहते हैं वर्तमान संकट भी कुछ समय के पश्चात टल जाएगा इसका हम सबको धैर्य पूर्वक प्रतीक्षा करनी है।