भोपाल: देवरानी-जेठानी के कथित समलैंगिक संबंध ने हिला दी संयुक्त परिवार की नींव

भोपाल, मध्य प्रदेश: भोपाल की फैमिली कोर्ट में हाल ही में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने पारंपरिक पारिवारिक ढांचे और सामाजिक सोच पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह मामला दो महिलाओं – देवरानी और जेठानी – के बीच पनपे कथित समलैंगिक रिश्ते से जुड़ा है, जिसने एक पूरा परिवार बिखेर दिया।

 

सामान्य शुरुआत, असामान्य मोड़

 

साल 2023 में भोपाल के एक संयुक्त परिवार में दो भाइयों की शादी हुई। बड़े भाई की पत्नी (जेठानी) पहले से परिवार के साथ रह रही थीं, वहीं छोटे भाई ने शादी के बाद अपनी पत्नी (देवरानी) के साथ उसी बिल्डिंग में रहना शुरू किया। प्रारंभ में सब सामान्य था, लेकिन कुछ महीनों में छोटे भाई को पत्नी और भाभी के बीच बढ़ती नजदीकियों पर संदेह होने लगा।

 

शादी या मोह का बहाना?

 

सूत्रों के अनुसार, देवरानी पहले से ही जेठानी के प्रति आकर्षित थी और उसी के करीब रहने के उद्देश्य से छोटे भाई से प्रेम का दिखावा कर शादी की। शादी के बाद उनका रिश्ता और गहराता गया। जब छोटे भाई को सच्चाई का पता चला, तो उसने खुद को धोखे में पाया।

 

तीन महीने की रहस्यमयी गुमशुदगी

 

परिवार को जब इस संबंध की जानकारी हुई, तो माहौल तनावपूर्ण हो गया। समझाइश का कोई असर नहीं हुआ और दोनों महिलाएं एक दिन अचानक घर छोड़कर चली गईं। तीन महीने तक उनका कोई अता-पता नहीं चला। पुलिस में गुमशुदगी की रिपोर्ट भी दर्ज करवाई गई थी। बाद में दोनों लौट आईं, जिससे तनाव और बढ़ गया।

 

टूटते रिश्ते, बढ़ती दूरी

 

छोटे भाई ने अब फैमिली कोर्ट में तलाक की अर्जी दी है, लेकिन उसकी पत्नी तलाक देने को तैयार नहीं है। वहीं बड़े भाई ने खुद को इस पूरे मामले से अलग कर लिया है और सामाजिक दबाव से बचने के लिए शहर छोड़ दिया है।

 

काउंसलिंग में उलझा मामला

 

फैमिली कोर्ट की सीनियर काउंसलर ने कहा, “समलैंगिक रिश्तों को लेकर समाज में अब भी भ्रम और संकोच है। लोग मानते हैं कि शादी सब ठीक कर देगी, पर सच्चाई इससे अलग है। हर व्यक्ति को अपनी पसंद की ज़िंदगी जीने का अधिकार है।” कोर्ट ने दोनों महिलाओं की काउंसलिंग का आदेश दिया है, लेकिन मामला अब भी जटिल बना हुआ है।

 

सोशल मीडिया पर बहस, समाज में हलचल

 

यह मामला न केवल कोर्ट में, बल्कि सोशल मीडिया और समाज में भी चर्चा का विषय बन गया है। यह घटना प्यार, धोखे, सामाजिक मान्यताओं और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के टकराव की कहानी बनकर उभरी है। अब सभी की निगाहें कोर्ट के फैसले पर टिकी हैं – क्या यह संबंध सामाजिक रुढ़ियों को तोड़ पाएगा या फिर एक और परिवार टूट जाएगा?

 

 

 

 

Author: Sudha Bag

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *