खुद पर हो विश्वास, तो जीत सकते हो आकाश ।

आज की हमारी कहानी है नरेन्द्र मिश्रा की, जो रायपुर केे निवासी है । जिन्होंने कभी संघर्ष से हर नहीं मानी , दिव्यांग होते हुए भी उन्होंने हर मोड़ पर जीवन की चुनोतियो को हँस कर स्वीकारा किया है । आज वे स्कूल में बतौर एक शिक्षक के रूप में कार्यरत है । आइये पढ़े उनकी कहानी उन्ही की ज़ुबानी ।

 कुछ भी याद नहीं, क्यूंकि उस समय मैं केवल 9 माह का था । एक दिन अचानक से बहुत ज्यादा रोने लगा, मां ने हाथ लगाकर देखा तो पूरा शरीर तप रहा था । समान्य बुखार समझकर पहले तो घर पर ही उपचार किया गया । पर राहत ना मिली तो शाम को डाॅक्टर के पास ले जाकर दिखाया गया, जहां पता चला कि मुझे पोलियो हुआ है, जिससे दांया हाथ, कमर, दोनों पैर बूरी तरह से प्रभावित हुए हैं । इस लाइलाज बीमारी से ये मेरा पहला परिचय था, अब इस 9 माह के बच्चे को 90% विकलांगता के साथ जीवन भर संघर्ष करना था ।

माता, पिता और परिवार के सकरात्मक सहयोग से मेरी स्कूली शिक्षा पास के एक सरकारी विद्यालय में हुई ।
स्नातक, स्नातकोत्तर की पढाई में थोड़ी परेशानी जरूर हूई, क्यूंकि कालेज तक ट्रायसिकल से जाना होता था और हाथ में ताकत कम होने के कारण उसे चला पाना आसान न था । कक्षा के अंदर अपनी सीट तक घसीटकर ही जाना पड़ता था, और फिर पूरा दिन उन गंदे कपडों में ही बीताना पड़ता था । बूरा तो लगता था, लेकिन फिर खुद को समझा भी लिया करता था ।
एक अच्छी शुरूआत उस समय मैने ये किया कि घर के आसपास के बच्चों को पढ़ाने लगा । धीरे-धीरे बच्चों को भी मेरा पढाना पसंद आने लगा और उस समय से लेकर आज तक शिक्षा से जुड़ाव बना हुआ है।
वर्तमान में मै माना के शासकीय विद्यालय में वाणिज्य व्याख्याता के रूप में कार्यरत हूं । विद्यालय और घर की दूरी लगभग 17 किलोमीटर है, जहां अपनी तिपहिया स्कुटी से आना-जाना हो जाता है ।
शुरुआत में कुछ छोटी-छोटी समस्याएं तो हुई लेकिन अब बहुत हद तक अपनी उपयोगिता सिध्द कर चूका हूं ।
बहुत खुशी होती है जब बच्चे संतुष्ट होते हैं, और सहकर्मी भरोसा करते हैं।
इसके अलावा कुछ समाजिक संगठनों में भी सक्रिय हूं और दिव्यांगो के हित में कुछ काम करने की कोशिश करता हूं।
अपने अनुभव के आधार पर इतना कह सकता हूं कि कोई भी आप पर तब तक विश्वास नही करेगा जब तक आप खुद पर विश्वास ना करें ।

श्रीमती यशा ¥ की रिपोर्ट 🖋️ 

Author: Sudha Bag

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *