आज की हमारी कहानी है एक नारी की जो हर रिश्ते,जिमेदारी और फ़र्ज़ को पूरा करते हुए अपने काम,समाज और अपने आस पास के लोगो की हर मुमकिन मदत करने में कभी पीछे नहीं हटी । एक ऐसी ही महिला है सुमित्रा साहू, जिन्होंने ना केवल अपने परिवार को बल्कि अपने ससुराल के लोगो को भी संभाला और आज एक अच्छे मुकाम पर पोहोचाय । आइए जाने सुमित्रा की कहानी ।
सुमित्रा आज एक मितानिन के रूप में काम कर रही है साथ ही कुछ और आमदनी के लिए घर पर बाती बनाने का भी कार्य करती है । पर इनकी जीवन शैली पहले ऐसी नहीं थी ,ये जब 13 साल की थी तब पैसे के अभाव के कारण इन्हें अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी ताकि उनके छोटे भाई व बहन पढ़ सकें । फिर जब इनकी शादी हुई तब इन्हें अपने पति के साथ कार्य मे हाथ बटाना पड़ता था ताकि इनके देवर और नन्द की पढ़ाई में कोई बाधा ना आये । जीवन व्यपन जैसे तैसे हो ही रहा था कि इनके पति को पैरालिसिस हो गया,जिसकी वजह से घर और बच्चों का पूरा भार इनपर आ गया । सुमित्रा अपने पति का चाय और भजिए का ढेला संभालने लगी और बच्चों को पढ़ाया ताकि वो अपने जीवन मे दुःख ना देखे । आज इनके पांच बच्चों में से तीन बेटियों की शादी हो गई है और दो बेटे सब्जी बेच कर उनको आर्थिक सहायता देने की पूरी कौशिश कर रहे है । इनकी एक बेटी ससुराल से किन्ही कारणों से वापस आ गई है पर आज वो अपनी माँ के कंधे से कंधा मिला कर चल रही है ।
उनका यही मानना है कि हमें खुद पर विश्वास होना चाहिए । कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता बस आपको अपनी काबिलियत पर भरोसा रखना पड़ता है । ये थी हमारी सुमित्रा साहू ।
श्रीमती यशा ¥ की रिपोर्ट 🖋️