श्री रामकथा का दृतिय दिवस पर आचार्य धीरेन्द्रकृष्ण शास्त्री सीता माता प्रकट पर धर्मिक प्रसंग सुनाया

मोला पार लगा दे राम-2….!!

कहुना जगत के दाता अइहें, सीता के राम हउआ जगत के दाता अइहे… !!

रचा है सृष्टि को जिस प्रभु ने वही ये सृष्टि चला रहे हैं….!!

छत्तीसगढ़ी, भोजपुरी, हिंदी के सुमधुर संगीतमय भजन ने बांधा अदभूत समां….

रायपुर. श्री हनुमान मंदिर मैदान गुढ़ियारी में श्रीराम कथा के द्वितीय दिवस बागेश्वरधाम से पधारे आचार्य धीरेन्द्रकृष्ण शास्त्री ने भाग्य के प्रकार, सीता माता के प्रकट होने सहित अनेक धार्मिक प्रसंगों को सुनाया.
कथा का आरंभ बागेश्वरधाम के हनुमान जी की आरती से आयोजक ओमप्रकाश मिश्रा परिवार, भाजपा अध्यक्ष अरुण साव एवम् समिति के प्रमुख पदाधिकारियों ने किया.
महाराज ने अपने उदबोधन में छत्तीसगढ़ी बोलकर श्रोताओं का दिल जीत लिया. उन्होंने छत्तीसगढ़ को राममय बनाने के लिये आयोजक ओमप्रकाश मिश्रा की भूरि-2 सराहना की.
कथा को आगे बढ़ाते हुए महाराज ने कहा कि प्रभु श्रीराम के राजतिलक पश्चात सभी वानरों प्रभु श्रीराम ने विदा कर दिया परंतु हनुमान वहीं रुके रहे. इस पर सभी परिजन एक-दूसरे को श्री हनुमान को वापस जाने के लिये बोलने लगे परंतु श्री हनुमान का माता सीता पर अशोक वाटिक में प्रभु श्रीराम का संदेश पहुंचाने, लक्ष्मण जी पर संजीवनी बुटी लाने के लिये, 14 वर्ष इंतजार के बाद भरत द्वारा शरीर त्यागने का विचार आने पर श्रीराम के आगमन का संदेश देने का रिण था, अहसान था, अत: संकोचवश कोई भी नहीं बोल पा रहा था.
महाराज ने भाग्य के प्रकार बताते हुए कहा बड़ भागी, अति बड़ भागी, अतिशय बड़ भागी, परम बड़ भागी, सम बड़ भागी को विस्तार से बताया एवम् जटायु तथा हनुमान जी की सेवा का स्मरण किया.
माता पार्वती के खिलौना बेचने वाली का रुप लेकर भगवान श्रीराम के चारों भाईयों का दर्शन करने एवम् भगवान भोलेनाथ जी के वानर रुप से दर्शन करने जाने का प्रसंग महाराजश्री ने सुनाया.
महाराजश्री ने अपने जीवन की सत्य घटना भी श्रद्धालुओं को बताई की किस प्रकार वे बागेश्वरधाम के हनुमान जी की सेवा, भजन, भंडारे आदि का संकल्प बिना धन के ही ले लेते थे परंतु उधार की चिंता उन्हें सताती थी पर हनुमान जी की कृपा से सारी व्यवस्था हो जाती थी. अपनी तंगहाली एवम् इसी परेशानी की स्थिति में भगवान श्री हनुमान जी का उन्हें दिव्य दर्शन भी हुआ था. इस प्रसंग को बताते हुए महाराज बहुत ही भावुक हो उठे थे. उन्होंने सुमति-कुमति प्रसंग बताया. राजा जनक एवम् रानी सुनयना को किस प्रकार धरती पर हल चलाते हुए सीता जी प्रकट हुईं इसका विस्तार से कथा में वर्णन किया. भगवान शंकर के धनुष को जिसे पराक्रमी भी नहीं उठा सकते थे उसे आसानी से उठाते देख राजा जनक जान गये थे कि सीता जी जगत जननी माता हैं.
महाराजश्री ने कहा कि रामायण को यदि सरकार राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित कर दे तो शीघ्र ही भारत विश्व गुरु बन जायेगी.
श्रीराम कथा में महाराज ने तुलसीदास के अनेक दोहा, चौपाईयों को बोलते हुए उसे विस्तार से समझाया.
कार्यक्रम को व्यवस्थित करने आयोजक ओमप्रकाश मिश्रा, संयोजक संतोष सेन, सौरभ मिश्रा, रतनलाल गोयल, मीडिया प्रभारी नितिन कुमार झा, मनीष तिवारी, विजय जड़ेजा, महेश शर्मा, शैलेन्द दुग्गड़, विनोद अग्रवाल, हेमेन्द्र साहू, प्रकाश महेश्वरी सहित सैकडों कार्यकर्ता सक्रिय रहे. श्री हनुमान मंदिर समिति का विशाल मैदान पूरी तरह भरा हुआ था. भक्तगण राम कथा में पूरी तरह लीन थे. भजन के समय सभी उठकर नृत्य कर झूमने लगते थे जो बहुत ही आनंदमय पल होता था ।

Author: Sudha Bag

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