मुख्य वक्ता वरिष्ठ साहित्यकार और पूर्व प्राध्यापक डॉ सत्यभामा आडिल रहीं ।उन्होंने कहा कि हिंदी को देवनागरी लिपि में ही लिखा जाना चाहिए न की रोमन में । हिंदी को शुद्ध रूप में लिखना और बोलना चाहिए । उन्होंने कहा कि पूरे राष्ट्र को संकल्प लेकर एकमत होकर हिंदी को पूर्ण रूप से राजभाषा और राष्ट्र भाषा बनाना चाहिए किसी भी स्वाधीन राष्ट्र को अपनी ही भाषा में सारे कार्य करने चाहिए । अन्य भाषा सीखनी चाहिए पर वो हमारी भाषा के समकक्ष नहीं आ सकती ।
अध्यक्षता महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ किरण गजपाल ने की । उन्होंने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि हर विषय पढ़ने के लिए हिंदी भाषा को जानना आवश्यक है ,हिंदी हमारी राष्ट्र भाषा है ,इससे हमारा भावनात्मक संबंध है । हिंदी की विभागाध्यक्ष डॉ सविता मिश्रा ने अपने उद्बोधन में कहा कि हिंदी तकनीकी और वैज्ञानिक रूप से बहुत सक्षम भाषा है । इसका भविष्य वैश्विक स्तर पर तीव्र गति से गतिमान है । गूगल , टि्वटर, फेसबुक, व्हाट्सएप, फिल्म, मीडिया में हिंदी भाषा का सर्वाधिक उपयोग होने लगा है। देश के बाहर विदेशों में भी हिंदी सम्मेलनों का महत्व बढ़ा है। आईक्यूसी प्रभारी डॉ उषाकिरण अग्रवाल ने कहा कि अपनी मातृभाषा का प्रयोग हमें भावनात्मक स्तर पर सुदृढ़ बनाता है । उन्होंने भावानीप्रसाद मिश्र की कविता का पाठ किया । मंच संचालन डॉ कल्पना मिश्रा ने किया और हिंदी के विविध रूपों और विशेषताओं पर प्रकाश डाला । धन्यवाद ज्ञापन श्रीमती चंद्रज्योति श्रीवास्तव ने दिया । इस अवसर पर महाविद्यालय की शोधार्थियों और छात्राओं ने काव्यपाठ भी किया । डॉ आरती उपाध्याय , अंजली खलको, अंतिमा गुप्ता, सीमा मिश्रा, रिंकी देवी , बेनू सिदार, संजू साहू, हीना शुक्ला , लता साहू , केसर , खीरकुमारी , संध्या ने कविताएं सुनाई। महाविद्यालय के प्राध्यापक डॉ प्रीति शर्मा ,मनीषा महापात्र , डॉ शीला श्रीधर , डॉ शंपा चौबे , डॉ किरण शर्मा सहित प्राध्यापक गण उपस्थित रहे ।