दिनांक 11-09-2022
अखिल भारतीय पिछड़ा वर्ग संघ के 75 वां स्थापना दिवस को राष्ट्रीय ओबीसी दिवस “* के रूप में 10 सितंबर 22 दिन शनिवार को ए. एन. सिन्हा शोध संस्थान में भव्य तरीके से मनाया गया जिसमे देश भर से आए संघ के प्रतिनिधियों और सामाजिक – राजनेतिक क्षेत्र के बुद्धिजीवियों, संगठनकर्ताओं और ने भाग लिया। समारोह का उदघाटन छत्रपति शिवाजी और छत्रपति साहू जी महाराज के वंशज *राजर्षी छत्रपति संभाजी महाराज* ने भारतव्यापी पिछड़ा वर्ग आंदोलन के सूत्रधार व संघ के संस्थापक *त्यागमूर्ति आर. एल. चंदापुरी* के चित्र पर माल्यार्पण कर किया। उन्होंने “त्यागमूर्ति चंदापुरी को *पिछड़ों वंचितों का मसीहा बताते हुए* मुख्यमंत्री *नीतीश कुमार* से राजधानी पटना में उनकी प्रतिमा शीघ्र स्थापित करने की मांग की। उन्होंने कहा कि संघ के स्थापना दिवस में आना उनके लिए यादगार ऐतिहासिक क्षण है क्यूंकि इस संगठन का जुड़ाव *महात्मा गांधी, पेरियार, डॉ आंबेडकर,राममनोहर लोहिया* जैसे महापुरुषों से रेहा है जो किसी संपत्ति से कम नहीं है।”
समारोह की अध्यक्षता कर रहे संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष *इन्द्र कुमार सिंह चंदापुरी* ने ओबीसी की जातीय जनगणना करवाने और पिछड़ों -अति पिछड़ों के आरक्षण के दायरे को बढ़ा कर 52 प्रतिशत करने सहित कुल छः प्रस्ताव प्रस्तुत किया जिसे ध्वनिमत से पारित कर दिया गया व उन्होंने प्रधानमंत्री *नरेंद्र मोदी* से पारित प्रस्तावों को देश हित में शीघ्र लागू करने की अपील की। उन्होंने कहा कि पिछड़ों की समस्या ही बहुसंख्यकों की समस्या है जिसका समाधान किए बिना विकास की बात करना देश को दिग्भ्रमित करने के समान है।
ओबीसी संयोजन समिति छत्तीसगढ़ के संस्थापक व संघ के राष्ट्रीय महासचिव *अधिवक्ता शत्रुहन सिंह साहू* ने कहा कि संघ एक संगठन मात्र नही बल्कि आंदोलन का प्रतीक भी है जिसकी जड़ें गांधी युग से जुड़ी हुई है तथा पिछड़ा वर्ग शब्द से सर्वप्रथम समाज को परिचय कराने वाले त्यागमूर्ति संघ के संस्थापक आर एल चंदापुरी ही थे जिसके द्वारा शुरू किए गए भारतव्यापी पिछड़ा वर्ग आंदोलन का ही परिणाम है कि आज देश में ओबीसी को जो 27 प्रतिशत हिस्सेदारी प्राप्त हुआ है किंतु छत्तीसगढ़ में आज भी ओबीसी को मात्र 14% ही मिल रहा जो दुर्भाग्य पूर्ण है, सरकार के द्वारा सार्वजनिक क्षेत्रों का लगतार निजीकरण एवम लैटरल एंट्री के माध्यम से बहुसंख्यक मुलनिवासी समाज के संवैधानिक अधिकारों को खत्म करने की पुरजोर कोशिश की जा रही है अतएव अब ओबीसीसमाज के सामने करो या मरो की स्थिति आ गया है
छत्तीसगढ़ के प्रदेश अध्यक्ष *हरीश सिन्हा* ने कहा कि त्यागमूर्ति आर एल चंदापुरी की विचारधारा से ही ओबीसी के सामाजिक न्याय व समान हिस्सेदारी की लड़ाई को मंजिल तक पहुंचाया जा सकता है यही कारण है कि छत्तीसगढ़ में ओ.बी.सी. संयोजन समिति ने संघ के विचार धारा को जन जन तक पहुंचाने के लिए ओबीसी अधिकार आंदोलन के तहत लगातार प्रशिक्षण शिविर का आयोजन कर ओबीसी में जागृत पैदा करने का काम कर रही हैं।
मंच संचालन कर रहे संघ के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव *पवनदेव चंद्रवंशी* ने कहा कि संघ के संस्थापक त्यागमूर्ति आर एल चंदापुरी द्वारा शुरू किए गए भारतव्यापी पिछड़ा वर्ग आंदोलन के परिणामस्वरूप ही बिहार सहित अन्य राज्यों में पिछड़े-अतिपिछड़े-वंचित समाज के लोग मुख्यमंत्री,केंद्रीय मंत्री,राज्यपाल और प्रधानमंत्री बने तथा अपने संवैधानिक अधिकारों के प्रति जागरूक हो सके।
डीआईए के चेयरमैन आईआईटियन *डॉ जितेंद्र पासवान* ने बताया कि बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर को समस्त उत्तर भारत से परिचय कराने का श्रेय त्यागमूर्ति आर एल चंदापुरी को जाता है।नेहरू मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने के तुरंत बाद बाबा साहेब की प्रथम और अंतिम बिहार यात्रा 6 नवंबर 1951 को हुई थी जब त्यागमूर्ति जी के बुलावे पर वे पिछड़ा वर्ग संघ के कार्यक्रम में भाग लेने के लिए पटना आए थे और गांधी मैदान में सभा को संबोधित किया था।इस कार्यक्रम में बाबा साहेब पर लाठी-गोली से प्रहार किया गया था जिनके रक्षार्थ त्यागमूर्ति जी बुरी तरह जख्मी हो गए थे और उनके प्राण की रक्षा की थी। कार्यक्रम में सोशल ब्रेनवाश पत्रिका के संस्थापक कौशलेंद्र प्रताप यादव (यूपी), उपाध्यक्ष सी एल गंगवार (यूपी), उपाध्यक्ष लक्ष्मी प्रजापति,राष्ट्रीय सचिव डॉ एल बी सिंह, भारतीय मोमिन फ्रंट के अध्यक्ष डॉ. महबूब आलम अंसारी, झारखंड प्रदेश अध्यक्ष बसंत चौहान, नेशनल जनमत पत्रिका के संपादक नीरज भाई पटेल, सचिव जितेंद्र चंद्रवंशी, महासचिव डॉ बैजनाथ प्रसाद यादव, उपाध्यक्ष शिवपूजन चंद्रवंशी, मध्यप्रदेश अध्यक्ष देवेंद्र प्रताप सिंह, कोषाध्यक्ष ई. के के सिंह चंदापुरी, संगठन सचिव रंजीत पटेल, प्रदेश उपाध्यक्ष लालमोहन सिंह,युवा उपाध्यक्ष गोल्डी पटेल,युवा महासचिव प्रतीक पटेल आदि लोगों ने संबोधित किया।
समारोह में छत्तीसगढ़ से एस. एल. साहू , इंजी. के.आर. कुल्हारा, चोवाराम साहू, रोहित कुमार, नेकराम, चौथराम, शत्रुघन लाल, जीवरखन, बसंत कुमार, भूषण लाल, यीशु कुमार, तुला राम सहित देश भर से हज़ारों लोग शामिल हुए