रायपुर,मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने राज्य में औद्योगिक विकास के लिए आज कई ऐतिहासिक घोषणाएं की। मुख्यमंत्री ने औद्योगिक क्षेत्रों में भूमि आबंटन की दरों में 30 प्रतिशत की कमी के साथ ही राज्य में फूड प्रोसेसिंग, लघु वनोपज और हर्बल आधारित उद्योगों की स्थापना के लिए उन्हें सस्ती दरों पर भूमि, पंूजी, ब्याज अनुदान और करों में छूट आदि देने के लिए आगामी 2 माह के भीतर नयी नीति तैयार करने की घोषणा की है। मुख्यमंत्री श्री बघेल आज यहां राजधानी रायपुर के छत्तीसगढ़ चेम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड इंडस्ट्रीज के कार्यक्रम में उद्योगिक और वाणिज्यिक प्रतिनिधियों से चर्चा कर रहे थे।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि राज्य सरकार कृषि के साथ व्यवसाय और उद्योगों की उन्नति के लिए संकल्पित है। प्रदेश में कोर सेक्टर स्टील और सीमेंट से संबंधित उद्योंगों की स्थापना को प्रोत्साहित किया जाएगा। वर्तमान में इन उद्योंगो को प्रतिबंधित सूची में रखा गया है, इन उद्योगों को प्रतिबंधित सूची से हटाया जाएगा। उन्होंने कहा कि औद्योगिक क्षेत्रों में भूमि आबंटन के लिए निर्धारित दरों में 30 प्रतिशत की कमी की जाएगी तथा वर्तमान में औद्योगिक क्षेत्रों में आबंटित भूमि पर लीज रेंट की दर 3 प्रतिशत से घटाकर 2 प्रतिशत की जाएगी।
प्रदेश में उद्योगों की स्थापना के लिए सभी प्रकार की अनुमतियां समय-सीमा में मिल सके इसके लिए सिंगल विंडो प्रणाली को प्रभावी बनाया जाएगा। वर्तमान में उद्योगों की स्थापना के लिए भूमि उपलब्ध नही होने के कारण आवेदन नही लिए जा रहे है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी जिला उद्योग केन्द्रों में नये आवेदन लिए जाएंगे और भूमि का आबंटन पहले आओ पहले पाओ के आधार पर उद्योग विभाग द्वारा किया जाएगा।
प्रदेश में 10 वर्षो से अधिक अवधि से संचालित 2 हेक्टेयर क्षेत्र तक के उद्योगों की भूमि फ्री होल्ड की जाएगी। औद्योगिक क्षेत्रांे में संचालित गोदामों का नियमितीकरण किया जाएगा। औद्योगिक भूमि के हस्तांतरण शुल्क में कमी की जाएगी साथ ही इसकी प्रक्रिया का सरलीकरण किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि आबंटित भूमि के आंशिक हस्तांतरण (सब-लीज) के प्रावधान किए जाएंगे। उद्योगों के पास उपलब्ध रिक्त भूमि या भूमि आबंटन के पश्चात् उद्योग की स्थापना न होने की दशा में उद्योग स्थापना हेतु अधिकतम एक वर्ष का अन्तिम अवसर दिया जाएगा। इसके बाद भूमि आबंटन दरों पर वापस लेकर अन्य पात्र उद्यमियों को दी जाएगी।
राज्य में वर्तमान में एक श्रमिक होने पर भी छोटे व्यपारियों को गुमाश्ता लायसेन्स लेने की अनिवार्यता है जिसे बढ़ाकर न्यूनतम मजदूरों की संख्या 10 की जाएगी। फैक्ट्री एक्ट में विद्युत से संचालित डद्योगों में 10 या अधिक श्रमिक नियाजित करने वाले तथा बिना पावर के उपयोग से संचालित उद्योगों में मजदूरों की न्यूनतम संख्या 20 से बढ़ाकर 40 करने का प्रस्ताव भारत सरकार को सहमति के लिए भेजा जाएगा। राज्य में स्टील उद्योगों को आयरन अयस्क की सुगम उपलब्धता के लिए विशेष पहल की जाएगी। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर चेम्बर के पदाधिकारियों द्वारा प्रस्तुत अन्य मांगों पर भी सहानुभूति पूर्वक विचार करने का आश्वासन दिया।
मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि प्रदेश के किसानों का धान 2500 रूपए प्रति क्विंटल की दर से खरीदने पर 6 हजार करोेड़ रूपए का बोनस दिया गया तथा किसानों के 10 हजार करोड़ से अधिक के कर्जे माफ किए गए। पूरा देश मंदी की चपेट में रहा लेकिन छत्तीसगढ़ राज्य मंदी से अछूता रहा। उन्होंने कहा कि छोटे प्लाटांे की रजिस्ट्री से हजारो लोग लाभान्वित हुए है। डायवर्सन की प्रक्रिया को सरलीकृत करते हुए सभी अधिकार एस.डी.एम. को दिए गए है। भूमि की गाइड लाइन दरों में 30 प्रतिशत की ऐतिहासिक कमी की गई है। नजूल पट्टे पर प्राप्त भूमि और आबादी पट््टे को फ्री होल्ड करने का प्रावधान किए गए। पुराने कब्जे के आधार पर प्राप्त पट्टे की भूमि और अतिक्रामकों के कब्जों को वैध करने के प्रावधान किए गए। शहरी क्षेत्रों में 7500 वर्गफुट तक शासकीय भूमि के आबंटन का अधिकार कलेक्टर को दिया गया है। प्रदेश में 400 यूनिट खपत तक बिजली बिल हॉफ किया गया। मिनी स्टील प्लांट क्षेत्र में विद्युत दर में कमी की गयी। गुमाश्ता लायसेंस के नवीनीकरण की अनिवार्यता समाप्त की गई। इन्ट्रा-स्टेट ई-वे बिल की अनिवार्यता समाप्त करने के लिए भारत सरकार को प्रस्ताव प्रेषित किया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पूरे देश में जब ऑटोमोबाईल क्षेत्र मंदी की चपेट में है पर मुझे यह बताते हुए खुशी है कि छत्तीसगढ़ में अगस्त 2018 में 37 हजार 518 वाहनों का रजिस्ट्रेशन तथा अगस्त 2019 में 41 हजार 393 वाहनों का रजिस्ट्रेशन हुआ है जो कि पिछले साल की तुलना में 10.32 प्रतिशत अधिक है। छत्तीसगढ़ एकमात्र राज्य है जिसका ऑटोमोबाईल क्षेत्र बढ़ रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में नक्सलवाद से बड़ी समस्या कुपोषण की है। छत्तीसगढ़ में 37.6 प्रतिशत बच्चे कुपोषित है। वहीं 41.5 प्रतिशत महिलाएं एनीमिया से पीड़ित है। छत्तीसगढ़ में कुपोषण को दूर करने के लिए औद्योगिक एवं व्यापारिक संगठनों से अपेक्षा है कि वें इस समस्या को दूर करने में अपनी पूरी सहभागिता दें। उन्होंने कहा कि सुपोषण अभियान में भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए मुख्यमंत्री सुपोषण में भी बनायी जाएंगी। इस निधि का उपयोग ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं एवं बच्चों को कुपोषण से मुक्ति के लिए किया जाएगा।
इस अवसर पर विधायक सर्वश्री बृजमोहन अग्रवाल, कुलदीप जुनेजा, विकास उपाध्याय, रायपुर नगर निगम के महापौर श्री प्रमोद दुबे, पूर्व महापौर श्रीमती किरणमयी नायक, चैम्बर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष श्री जितेन्द्र जैन बरलोटा, लालचंद गुलवानी, पूरनलाल अग्रवाल, ललित जैसिंघ, प्रकाश अग्रवाल, योगेश अग्रवाल, अरविन्द जैन, महेन्द्र मुकीम, भरत बजाज, राजेन्द्र जग्गी, विवेक शास्वत, कमल शारडा सहित चैम्बर के अनेक पदाधिकारी, उद्योगपति एवं प्रदेश के विभिन्न स्थानों से आए व्यापारिक संगठनों के प्रतिनिधि बड़ी संख्या उपस्थित थे।