माता कौशल्या की जन्मभूमि छत्तीसगढ़ में ।

चंदखुरी, माता कौशल्या की जन्मभूमि है । यह के सोंमवती राजा द्वरा 8 वी शपताब्दि में इस मंदिर का निर्माण करवाया था ।

छत्तीसगढ़ की शस्य-शामला पावन भूमि में मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम की जननी माता कौशल्या जी का प्राचीन मंदिर है। जो दुर्लभता के कारण भारतवर्ष में एक मात्र मंदिर माना जाता है । चंदखुरी(आरंग) को माता कौशल्या की जन्मभूमि होने का गौरव प्राप्त है । यह धरोहर हमारे छत्तीसगढ़ की गौरवपूर्ण अस्मिता है । आरंग रायपुर से 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है ।

रामायण काल में आरंग कौशल नरेश राजा भानुमंत की राजधानी हुआ करती थी ऐसी जनश्रुति मिलती है । कौशल नरेश भानुमंत की पुत्री का नाम भानुमती था । राजा दशरथ से विवाह होने के उपरांत कौशल की बेटी होने की वज़ह से भानुमती का नाम कौशल्या पड़ा । चंदखुरी ग्राम में प्राचीन कौशल्या मंदिर ,राजधानी रायपुर से 27 किलोमीटर की दूरी, पूर्व दिशा में स्थित है, जो विशाल जलसेन जलाशय के मध्य में स्थित है । माता कौशल्या मंदिर का विग्रह शिल्पकला की दृष्टि से छठवें-सातवीं ईसवी की मानी जाती है ।

श्री राम ने अपने वनवास काल मे लगभग 10 वर्ष दण्डक वन (छत्तीसगढ़) में व्यतीत किये थे । दक्षिणी पथ में अधिकतर नदियां थी । वनगमन मार्ग दुर्गम होने के कारण उन्होंने जल मार्ग से यात्रा की थी । इन नदियों के तट से ही संस्कृतियों का उदभव एवं जनजीवन विकसित हुआ। श्री राम के आगमन की स्मृति में नदी तट पर स्थापित अनेक सांस्कृतिक स्थल, मंदिर और मठ इसकी पुष्टि करते है । वाल्मीकि रामायण के अनुसार वनवास में जाते समय चित्रकूट में राम-भरत मिलाप हुआ था ।  भगवान श्री राम के चरणस्पर्श से ही छत्तीसगढ़ को खुश,शांति,वैभव और समृद्धि प्राप्त हुई है ।

🖋️छत्तीसगढ़, रायपुर से🖋️

✍️पत्रकार श्रीमती यशा ¥, ख़बर छत्तीसगढ़ से✍️

 

Author: Sudha Bag

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