देश के उत्तर-पश्चिम इलाकों से लौटता हुआ मानसून छत्तीसगढ़ से भी विदा हो गया। शुक्रवार को दोपहर बाद मानसूनी सिस्टम ने प्रदेश की दक्षिणी सीमा को पार कर लिया। इसी के साथ बरसात का मौसम खत्म होने की आधिकारिक घोषणा हो गई है। पिछले 10 सालों में यह तीसरी बार है जब मानसून की वापसी 20 अक्टूबर के बाद हुई हो।
इसके बाद भी दिवाली पर बरसात की संभावना एकदम से खत्म नहीं हुई है। बताया जा रहा है, बंगाल की खाड़ी में उठे चक्रवाती तूफान सितरंग की वजह से प्रदेश के कई जिलों में बादलों की वापसी हो सकती है। मौसम विभाग के मुताबिक 21 अक्टूबर को दक्षिण- पश्चिम मानसून की विदाई पूरे प्रदेश से हो गई है। प्रदेश 17 जून को मानसून आया था। इस मान से इस साल बरसात की अवधि 131 दिन रही है।
रायपुर मौसम विज्ञान केंद्र के विज्ञानी एच.पी. चंद्रा ने बताया, प्रदेश में उत्तर से शुष्क और ठंडी हवा आ रही है। इसकी वजह से न्यूनतम तापमान में लगातार गिरावट बने रहने की संभावना है। आगे से प्रदेश का मौसम सूखा रहने की ही संभावना बन रही है। इस बीच उत्तर अंडमान सागर, दक्षिण अंडमान सागर और दक्षिण-पूर्व बंगाल की खाड़ी पर एक निम्नदाब का क्षेत्र बना है। इसके साथ ऊपरी हवा का चक्रीय चक्रवाती घेरा भी 7.6 किलोमीटर ऊंचाई तक फैला हुआ है। इसके पश्चिम-उत्तर-पश्चिम की ओर आगे बढ़ते हुए प्रबल होकर और 22 अक्टूर को अवदाब के रुप में परिवर्तित होने की संभावना है।
संभावना है कि 23 अक्टूबर को यह अधिक प्रबल होकर गहरे अवदाब में बदल जाएगा। यहां से यह 23 अक्टूबर तक मुड़ते हुए पूर्व-मध्य और उससे लगे दक्षिण-पूर्व बंगाल की खाड़ी के ऊपर पहुंच जाएगा। इसके पश्चिम-मध्य बंगाल की खाड़ी और उससे लगे पूर्व-मध्य बंगाल की खाड़ी के ऊपर 24 अक्टूबर को चक्रवात के रूप में परिवर्तित होने की संभावना है। इसके बाद इसके उत्तर- उत्तर-पूर्व की ओर आगे बढ़ते हुए पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश के पास 25 अक्टूबर को ओडिशा तट को स्पर्श करते हुए पहुंचने की संभावना है। इस चक्रवाती तूफान का नाम सितरंग रखा गया है।
तूफान को यह नाम थाइलैंड की ओर से दिया गया है। प्रारंभिक अनुमान के मुताबिक छत्तीसगढ़ के मौसम पर इस तूफान का आंशिक असर ही होगा। इसके कारण प्रदेश के कुछ हिस्सों में 24 से 26 अक्तूबर तक बादल रहने की संभावना है। बादलों की वजह से न्यूनतम तापमान में वृद्धि हो सकती है।
14 तारीख को पेण्ड्रा पहुंचा था लौटता मानसून
छत्तीसगढ़ में मानसून की वास्तविक वापसी 14 अक्टूबर से शुरू हुई। उस दिन मानसून उत्तर-पश्चिमी सीमा पर पेण्ड्रा रोड तक पहुंचा था। अगले चार दिन मानसून की रेखा वहीं रुकी रही। उसके बाद वह बिलासपुर जिले तक पहुंचकर रुक गई। स्थितियां अनुकूल होते ही मानसून तेजी से हटा। 21 अक्टूबर को दोपहर बाद मानसून आंध्र प्रदेश-तेलंगाना की सीमाओं तक पहुंच चुका था। इसके साथ ही मानसून की विदाई की अधिकृत घोषणा कर दी गई।
सीजन के आखिरी दो दिन बरसात नहीं हुई
मौसम विभाग के मुताबिक अक्टूबर महीने में 72.4 मिलीमीटर बरसात हुई है। यह सामान्य औसत बरसात से 52% अधिक है। सामान्य तौर पर इस महीने में 47 मिमी औसत बरसात होती है। वर्षा के दिनों की संख्या भी दो से तीन ही है। लेकिन इस साल 16 अक्टूबर तक लगभग हर रोज बरसात हुई है। 20 और 21 अक्टूबर को ही बरसात नहीं हुई है। 21 अक्टूबर को केवल दंतेवाड़ा में 0.2 मिमी की मामूली वर्षा दर्ज हुई है। उसके अलावा पूरा प्रदेश सूखा रहा।
उत्तर-पश्चिमी जिलों में दिखने लगा ठंड का रंग
मानसून के पीछे हटते ही प्रदेश के उत्तर-पश्चिम जिलों यानी सरगुजा और बिलासपुर संभाग में ठंड का रंग दिखने लगा है। अंबिकापुर और पेण्ड्रा में अधिकतम तापमान 30 डिग्री सेल्सियस से कम हो गया है। वहीं न्यूनतम तापमान 14 से 17 डिग्री सेल्सियस के बीच पहुंच चुका है। राजधानी रायपुर में भी 21 अक्टूबर का न्यूनतम तापमान 20.9 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड हुआ। बिलासपुर, जगदलपुर और दुर्ग में यह 20 डिग्री से भी नीचे दर्ज हुआ है। इसकी वजह से दिन ढलने के बाद ठंड महसूस होने लगी है। सरगुजा संभाग के जिलों में लोगों ने गर्म कपड़े निकाल लिए हैं।