एआईसीसी नेत्री एवं महिला कांग्रेस की पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती शोभा ओझा की, अग्निपथ की बात, युवाओं से विश्वासघात

*एआईसीसी नेत्री एवं महिला कांग्रेस की पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती शोभा ओझा की*
*प्रेसवार्ता 26 जून 2022*

*अग्निपथ की बात, युवाओं से विश्वासघात*

(1) हम अग्निवीर योजना को तुरंत प्रभाव से वापस लेने की मांग करते हैं। प्रधानमंत्री युवाओं की बात क्यों नहीं सुन रहे हैं? वह चुप क्यों है? हम उनसे उनके अहंकार को त्यागने का निवेदन करते हैं। उनके इसी अहंकार ने किसान आंदोलन के दौरान 700 किसानों की जान ली थी। देश हित में, हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा और युवाओं के भविष्य को ध्यान में रखते हुए इस इतिहास को दोहराया नहीं जाना चाहिए और प्रधानमंत्री द्वारा अपनी गलती मानते हुए इस युवा और राष्ट्र विरोधी योजना को वापस लिया जाए।

(2) यह तुगलकी सरकार पहले फैसला करती है, और बाद में सोचती है। अग्निपथ योजना के मामले में भी अनेक बदलाव आ चुके हैं, लेकिन भारत के युवा इसे वापिस लेने की मांग कर रहे हैं। आज देश को बचाने की जरूरत है, परंतु यह सरकार पैसे बचाने में लगी है। युवा, पूर्व सैनिक तथा रक्षा विशेषज्ञ, सभी हितधारकों (stakeholders) ने मोदी सरकार की इस अग्निपथ योजना को नकार कर दिया है। अनेक सेवारत अधिकारियों ने निजी तौर पर इस संबंध में अपनी चिंता व्यक्त की है। हम सेना के विरुद्ध एक शब्द भी नहीं कहते। हम अपने सशस्त्र बलों के कल्याण और राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति चिंतित हैं।

(3) अग्निपथ योजना अभी तक भाजपा सरकार द्वारा बनाई गई एक अन्य गलत योजना है, जो मौजूदा समस्याओं का समाधान किए बिना भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए नई समस्याएं पैदा करेगी। अग्निवीरों के लिए प्रशिक्षण की अल्प अवधि (6 महीने) का हमारे सशस्त्र बलों की गुणवत्ता, दक्षता और प्रभावशीलता पर नकारात्मक असर पड़ेगा। व्यवहार और वेतन/लाभ के दो पैमाने निष्पक्षता के सभी मानदंडों का उल्लंघन है। यह भेदभाव सशस्त्र बलों और उनमें अनुशासन के लिए कई अप्रत्याशित और गंभीर समस्याएं पैदा करेगा।

(4) देश में निवेश नहीं हो रहा है, उद्योग नहीं लग रहे, अर्थव्यवस्था चौपट हो रही है, लोगों को रोजगार नहीं मिल पा रहा है। देश के करोड़ों युवा बेरोजगारी झेल रहे हैं, पर सरकार बिल्कुल बेपरवाह है और सरकारी आंकड़ों के अनुसार आज देश में 62 लाख से ज्यादा सरकारी नौकरियों के पद खाली पड़े हैं, जिनमें से 26 लाख तो केवल केन्द्र सरकार की नौकरियाँ हैं।

(5) यह सरकार जवानों को केवल चार साल के बाद रिटायर करके, जनरल बिपिन रावत, सीडीएस का भी अपमान कर रही है। उन्होंने एएनआई को दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि ‘सेना में सैनिक 17 साल के बाद में काम करके रिटायर हो जाते हैं, तो उनको रिटायरमेंट की एज बढ़ानी चाहिए। उन्होंने एक सर्कुलर भी निकाला था। इस प्रकार अग्निपथ स्कीम उनकी सोच और इच्छा का सीधा अपमान है।

(6) इन महत्वपूर्ण मुद्दे पर कांग्रेस पार्टी पूरे देश में आंदोलन कर रही है। पहले हमने 20 जून, 2022 को जंतर-मंतर और विभिन्न राज्यों में शांतिपूर्ण सत्याग्रह हुआ था। सांसदों ने संसद से शांतिपूर्ण मार्च निकाला और वरिष्ठ नेताओं के प्रतिनिधि मंडल ने भारत के माननीय राष्ट्रपति को इसे वापिस लेने के लिए एक ज्ञापन भी सौंपा। 27 जून, 2022 यानि कल सुबह 10 से 1 बजे सभी राज्यों के सभी विधानसभा क्षेत्रों में पार्टी के वरिष्ठ नेता और पदाधिकारी शांतिपूर्ण सत्याग्रह करेंगे।

दावा 1 – इस योजना से युवाओं को बड़े पैमाने पर रोजगार मिलेगा।
सच्चाई – यह सरासर झूठ है, दरअसल रोजगार के अवसर कम हुए हैं। अब तक हर साल सेना में 50 से 80 हजार सीधे पक्की भर्तियां होती थीं। अग्निपथ में उन्हें ख़त्म कर दिया गया है। अब आगे से सेना में डायरेक्ट पक्की भर्ती नहीं होगी। पिछले दो साल में जो भर्तियां अधूरी थीं उन्हें भी रद्द कर दिया गया है। उसके बदले हर साल 45 से 50 हजार कॉन्ट्रैक्ट की भर्तियां होंगी। उनमे से एक चौथाई यानि लगभग 12 हजार जवानो को हर साल पक्की नौकरी मिलेगी। अगर यह योजना 15 साल तक चली तो भारतीय सेना में कुल सैनिकों की संख्या 14 लाख से घटकर 6 लाख से भी कम रह जाएगी। आप खुद देख लो, रोजगार बढ़ेगा या घटेगा?

इस योजना के माध्यम से देश के युवाओं के साथ बहुत बड़ा धोखा किया जा रहा है और उनके भविष्य से बहुत बड़ा खिलवाड़ हो रहा है। अग्निपथ य़ोजना के कारण 50,000 के आस-पास हमारे युवक, जिन्होंने भर्ती प्रक्रिया में भाग लिया था, जो दौड़ में पास हो गए थे, जो मैडिकल में भी पास हो गए थे और केवल लिखित की परीक्षा बाकी थी मैरिट बनने के लिए, उन 50,000 के लगभग युवाओं के साथ धोखा हुआ है और उनकी पूरी भर्ती प्रक्रिया रद्द किए जाने के समाचार छप चुके हैं और उन युवाओं को नए सिरे से भर्ती प्रक्रिया में भाग लेना पड़ेगा।

दावा 2 – हमारी सेना पहले से ज्यादा युवा, तकनीकी रूप से सक्षम और मजबूत हो जाएगी।
सच्चाई – कॉन्ट्रैक्ट की नौकरी पर 17 से 21 साल के जवानों को रखने से औसत आयु तो कम हो जाएगी, क्या वास्तव में इसकी जरूरत थी? अगर 30 साल का फौजी लड़ने लायक नहीं बचता तो तो 30 से अधिक उम्र के इतने सैनिकों को बहादुरी के लिए परमवीर चक्र कैसे मिला? जवानों को चार साल की कच्ची नौकरी पर रखने और उसके बाद एक चौथाई को निकाल देने से सेना का मनोबल मजबूत कैसे होगा? तकनीकी रूप से सक्षम होने के लिए लम्बी ट्रेनिंग के जरूरत होगी। दसवीं पास जवान को सिर्फ चार साल के लिए भर्ती करने से तकनीकी क्षमता कैसे बढ़ेगी?

दावा 3 – इस योजना में भर्ती होने वाले अग्निवीरों को बहुत फायदे होंगे — वेतन मिलेगा, बचत होगी, रोजगार प्रशिक्षण मिलेगा और स्थायी नौकरी के मौके मिलेंगे।
सच्चाई – चार साल की किसी भी नौकरी से कुछ न कुछ फायदा तो होगा ही। सवाल यह है कि क्या पक्की नौकरी में जो बचत थी, जो ट्रेनिंग मिलती उससे बेहतर चार साल की कच्ची नौकरी से मिलेगी? चार साल बाद पक्की सरकारी या प्राइवेट नौकरी की सब बातें झांसा है। सच यह है कि सरकार 15-20 साल की नौकरी करने वाले पूर्व सैनिकों को भी नौकरी नहीं दे पायी है। कुल 5,69,404 पूर्व सैनिकों ने नौकरी के लिए पंजीकरण कराया था, जिसमे से मात्र 14,155 पूर्व सैनिकों (यानी मात्र 2.5 प्रतिशत) को सरकारी, अर्ध सरकारी, निजी क्षेत्र में रोजगार मिल पाया। ऐसे में अग्निवीर को नौकरी दिलवाने की बात सिर्फ जुमला है।

दावा 4 – इस योजना से सेना में जातिवाद और क्षेत्रवाद समाप्त होगा।
सच्चाई – अग्निपथ में “आल इंडिया आल क्लास“ आधार पर नियुक्ति करने से सेना में सभी इलाके के युवाओं को मौका तो मिलेगा, लेकिन इससे रेजिमेंट का सामाजिक चरित्र बिगड़ जायेगा। “नाम, नमक, निशान“ के लिए प्राण न्यौछावर करने की भावना कमजोर होगी। मोदी सरकार ही ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा देकर यह यह तर्क दिया कि समुदाय आधारित भर्ती को समाप्त करने से रेजिमेंट के चरित्र और लड़ाई के जज्बे को नुकसान होगा। सशस्त्र बलों की भर्ती में सभी क्षेत्रों और समुदायों को प्रतिनिधित्व देना एक अपरिहार्य राष्ट्रहित है और प्रत्येक राज्य और क्षेत्र की भर्ती योग्य पुरुष आबादी के अनुसार भर्ती करके यह सुनिश्चित किया जाता रहा है। ऑनलाइन आवेदनों की प्रणाली यह कैसे सुनिश्चित करेगी?

दावा 5 – दुनिया के कई देशों में सेना में अल्पकालिक भर्ती होती है। हमारे यहाँ भी सेना में अफसरों की भर्ती में 5 साल का शार्ट सर्विस कमीशन है।
सच्चाई – सरकार के समर्थक इजराइल जैसे जिन देशों का उदाहरण देते हैं वहां सैन्य भर्ती अनिवार्य है, नहीं तो उन्हें सेना में भर्ती के लिए युवा नहीं मिलते। अनिवार्य सेवा दो चार साल से ज्यादा नहीं करवाई जा सकती। भारत में देशप्रेम और बेरोजगारी इतनी अधिक है कि यहां सेना में भर्ती होने के लिए लाखों युवा हमेशा खड़े हैं। वैसे भी इन देशों में अल्पकालिक भर्ती के इलावा डायरेक्ट पक्की भर्ती भी होती है, अग्निपथ योजना में इसे बंद किया जा रहा है। यही बात हमारे शार्ट सर्विस कमीशन पर भी लागू होती है। जब सेना को अफसरों की भर्ती में पर्याप्त अच्छे उम्मीदवार नहीं मिल रहे थे, उसकी कमी को पूरा करने के लिए यह योजना लाई गयी थे। उस योजना के कारण सेना में अफसरों की डायरेक्ट और पक्की भर्ती रोकी नहीं गयी है।

दावा 6 – कारगिल युद्ध के बाद बनी रिव्यु समिति और अन्य कई विशेषज्ञों ने इसकी सिफारिश की थी।
सच्चाई – कारगिल समिति ने कहीं यह नहीं कहा कि 4 साल के लिए कॉन्ट्रैक्ट की नियुक्तियां की जानी चाहिए। समिति ने यह सलाह दी थी कि जवानों को शुरू के 7 -10 वर्षों में सैनिकों में नियुक्त किया जाना चाहिए, उसके बाद उन्हें अन्य बलों जैसे सीआईएसएफ, बीएसएफ आदि में स्थानांतरित किया जा सकता है। कई विशेषज्ञों और समितियों ने जवानों की औसत आयु कुछ घटाने के बात कही है, लेकिन पक्की नौकरी खत्म कर कॉन्ट्रैक्ट के बात किसी ने नहीं की। इस योजना को संसद या संसद की रक्षा मामले की स्थायी समिति के सामने कभी नहीं रखा गया।

दावा 7 – थल सेना, नौसेना और वायु सेना के प्रमुख इस योजना का समर्थन कर रहे हैं।
सच्चाई – हम सशस्त्र बलों का सम्मान करते हैं और सेवारत अधिकारियों की बाध्यताओं को भी समझते हैं। उनके पास और रास्ता ही क्या है? लेकिन हम अपने सेवारत अधिकारियों पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे। अगर अनुभवी देशभक्त सैनिकों की मन की बात सुननी है तो रिटायर्ड सेना अधिकारियों को सुनना चाहिए जिसमे अधिकांश इसका खुलकर विरोध कर रहे हैं। कई पूर्व जनरल और परमवीर चक्र विजेता बाना सिंह और योगेन्द्र सिंह यादव जैसे शूरवीर कह रहे हैं कि यह खतरनाक योजना है।

दावा 8 – अग्निवीर योजना को युवाओं का समर्थन है, वो इसके लिए रजिस्ट्रेशन करवाने को तैयार बैठे हैं।
सच्चाई – इस देश में बेरोजगारी की ऐसी हालत है की आप चार साल छोड़ो, चार महीने की नौकरी भी दोगे तो हर पोस्ट के लिए सैंकड़ों उम्मीदवार खड़े मिलेंगे। यहाँ चपरासी की नौकरी के लिए पीएचडी वाले अप्लाई करते हैं। इससे युवाओं की मजबूरी साबित होती है, योजना की मजबूती नहीं।

दावा 9 – इस योजना से सरकार के खजाने पर पेंशन और वेतन का बोझ कम होगा।
सच्चाई – सच्चा तर्क यही है, बाकी सब तो सच पर पर्दा डालने वाले तर्क हैं। यह सच है कि रक्षा बजट का लगभग 40 प्रतिशत वेतन और पेंशन में चला जाता है, लेकिन इसका समाधान यह नहीं है कि हम डायरेक्ट और पक्की भर्ती ही रोक दें, सेना बल की संख्या आधी कर दें। समाधान यह होगा कि रक्षा बजट को बढ़ाया जाए। लेकिन मोदी सरकार ने रक्षा बजट को 2017-18 में केंद्र सरकार के खर्च के 17.8 प्रतिशत से घटाकर 2020-21 में 13.2 प्रतिशत कर दिया है। समाधान यह भी हो सकता था कि रक्षा बजट में गैर सैनिक (सिविलियन) कर्मचारियों के वेतन और पेंशन में कमी की जाए। एक झटके में पेंशनधारी नौकरियों को ही ख़त्म कर देना तो देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ है। सवाल है कि क्या हम देश की सुरक्षा पर कंजूसी कर सकते हैं, जब राष्ट्रीय सुरक्षा का खतरा बढ़ रहा है?

दावा 10 – इस योजना के अंतर्गत 25 प्रतिशत अग्नि वीरों की सेना में भर्ती की जाएगी।
सच्चाई – बोल रहे हैं कि उसमें से 25 प्रतिशत लोगों को, 25 प्रतिशत नहीं, 25 प्रतिशत तक, ध्यान रखिएगा। ये है सेल्समैन, मेगा बम्पर ऑफर की मानसिकता। 25 प्रतिशत तक क्या होता है, मतलब 25 प्रतिशत की भी गारंटी नहीं है।

प्रेसवार्ता में संसदीय सचिव एवं विधायक विकास उपाध्याय, प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी महामंत्री प्रशासन रवि घोष, प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री संगठन अमरजीत चावला, प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला, प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर, वंदना राजपूत, अजय गंगवानी, मणि प्रकाश वैष्णव उपस्थित थे।

 

Author: Sudha Bag

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