तृतीय राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के पहले दिन राजधानी रायपुर के साइंस कालेज मैदान में जबरदस्त माहौल देखने को मिला। महोत्सव के पहले दिन विभिन्न राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के साथ ही विदेशी कलाकारों ने अपने नृत्य कौशल से सभी को अचंभित किया। वहीँ राज्यपाल अनुसूइया उइके एवं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दीप प्रज्ज्वलित कर राज्य अलंकरण समारोह का शुभारंभ किया।
राज्य अलंकरण समारोह को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि आज राज्य स्थापना दिवस समारोह और राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का शुभारंभ हुआ। इसके साथ ही आज प्रदेश में धान ख़रीदी की शुरुआत हुई। आज राज्योत्सव के मौके पर राज्य अलंकरण समारोह का भी आयोजन किया जा रहा है। अलंकरण समारोह के माध्यम से विभिन्न क्षेत्रों के व्यक्तियों का सम्मान करके हम स्वयं गौरवान्वित महसूस करते हैं, इससे दूसरों को भी प्रेरणा मिलती है।
छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का तीसरी बार आयोजन हो रहा है। प्रतिवर्ष इसमें प्रतिभागी के तौर पर शामिल होने वाले राज्य और देशों की संख्या बढ़ रही है। आदिम संस्कृति प्रकृति के साथ, प्रकृति की रक्षा करते हुए अपनी ज़रूरतों को पूरा करती है। आदिम संस्कृति के जीवनशैली से प्रेरणा लेकर हम आगे बढ़ेंगे तो पर्यावरण की रक्षा कर पाएँगे। दुनियाभर के आदिम संस्कृति में एकरूपता दिखती है। यह वसुधैव कुटुंबकम् की भावना को दर्शाता है।
सीएम बघेल ने आगे कहा कि राज्य अलंकरण समारोह समाज के ऐसे व्यक्ति जो विभिन्न क्षेत्रों में निःस्वार्थ सेवा करते हैं उन्हें दिया जा रहा है। अलंकरण समारोह के माध्यम से सम्मान करके हम स्वयं गौरान्वित महसूस करते हैं। आप सभी के कृतित्व से समाज को प्रेरणा मिलती है। राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव पूरी दुनिया में सिर्फ छत्तीसगढ़ में होता है आदिम संस्कृति प्रकृति का संरक्षण करते हुए आगे बढ़ती है। नृत्य कला देखकर लगा कि सभी आदिवासियों की कला में बहुत समानता है। आज छत्तीसगढ़ के मंच पूरी दुनिया की आदिवासी संस्कृति को जोड़ने का कार्य किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ में जोड़ने का कार्य किया जा रहा है।
सभी जिलों में लगाई जाएगी छत्तीसगढ़ महतारी की प्रतिमाएं
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने हर ज़िला मुख्यालय में छत्तीसगढ़ महतारी की आदमकद प्रतिमा की स्थापना की घोषणा की है। छत्तीसगढ़ महतारी हमारे राज्य की अस्मिता, सम्मान और स्वाभिमान का प्रतीक है। छत्तीसगढ़ की माटी की परंपरा और लोक संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए राज्य के सभी जिलों में प्रतिमा स्थापित की जाएगी।