रायपुर। होली के त्यौहार में पूरा देश रंगों की खुमारी में खोया रहता है और सभी को रंगों से खेलना बेहद पसंद होता है। हालाँकि होली का ही एक पहलु ऐसा भी है जिस पर लोग ज़्यादा ध्यान नहीं देते हैं, वो है इस त्यौहार से बेज़ुबान जानवरों पर पड़ने वाला असर।
होली खेलना जितना हमें पसंद है, हमारे आस पास के जानवरों को ये शायद उतना पसंद ना हो। मगर फिर भी होली के उत्साहित माहौल में अक्सर लोग ये भूल जाते हैं कि रंगों में मिले केमिकल से जानवरों को तकलीफ पहुँच सकती है। होली में इस्तेमाल होने वाला रंग जानवरों के लिए काफी नुक्सानदेह हो सकता है।
हम सभी को यह मालूम होना चाहिए कि जब हम बेज़ुबान जानवरों को रंग लगाते हैं तो वे काफी परेशान होते हैं क्योंकि यह रंग अक्सर उनकी आंखों और नाक में चला जाता है। इससे उन्हें काफी असुविधा होती है। इस कारण वे अपने शरीर को चाट कर साफ करना चाहते हैं और जीभ पर रंग लगने से उन्हें उल्टी आती है और उनकी जान भी जा सकती है । कुत्तों की कुछ प्रजातियां इतनी संवेदनशील होती हैं कि सूखे रंग से उनकी त्वचा खराब हो जाती है। ऐसे में विजय सिंधी मंच द्वारा लोगों से अपील की गई है बेज़ुबान पशुओं को त्यौहार से दूर रखें ज़रूरी है कि हम पहले से ही ऐसी बातों पर विचार करें जिनसे होली में जानवरों को नुक्सान पहुंचाने से बचा जा सके।
होली में बच्चे सबसे ज़्यादा उत्साहित रहते हैं और अपने आस पास की हर चीज़ को रंग लगाने और गुब्बारे मारने को उतारू होते हैं, तो ये सबसे ज़्यादा ज़रूरी है कि छोटे बच्चों पर नज़र रखी जाये जानवरों को होली के दिन बच्चों से दूर रखा जाए।*
घर के जानवरों को होली के ठीक पहले अच्छे से बाहर घुमा लेना चाहिए, ताकि होली खेलते समय जानवरों को ज़्यादा परेशानी न हो और उन्हें सुरक्षित घरों के अंदर रखा जा सके।
सभी के लिए ये जानना बहुत ज़रूरी है कि, पशुओं को रंगों से खेलना पसंद नहीं होता है। चाहे वह रंगीन पानी हो या पाउडर- सभी रंगों में उन्हें नुकसान पहुंचाने की क्षमता होती है। जानवरों के लिए यह ज़हर का काम करता है।
भवदीय :- विजय सिंधी सेवा मंच