शिप्रा-तट, काशी और प्रयाग के लिए गंगा का जो महत्व है वहीं महत्व शिप्रा नदी का है । तरल-सरल शिप्रा उज्जैन की जीवन रेखा है । इसका महात्म्य आपको प्राचीन से भी प्राचीन संस्कृत ग्रन्थों में मिलता है ।यह मान्यता है कि शिप्रा नदी में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है । यही कारण है कि सोमवती अमावस्या तथा अन्य पवित्र पर्व पर साधु-संत, लाखों श्रद्धालु यात्रीगण, एवं उज्जैनवासी भी नदी में स्नान करने आते है ।
पुराणों में शिप्रा नदी के चार नाम बताएं जाते है जो ही शिप्रा,ज्वर्घनी,पापघ्नी और अमृतसम्भवा है । नगर की पश्चिमी सीमा निर्धारित करती हुई शिप्रा घाटों की रमणीय श्रृंखलाओं को स्पर्श करती हुई बहती है । मुख्य घाट रामघाट कहलाता है । इन्हीं घाटों पर पितरों का तर्पण कराया जाता है ,जिसे उन्हें मोक्ष की प्रपति होती है ।