16 साल की मासूमियत में हुआ सच्चा प्यार… शादी के बाद पति ने 500 रुपए में बेच दिया… इस तरह एक रईस खानदान की बच्ची बन गई ‘कोठे वाली गंगूबाई’… असली सफर शुरू होता है यहीं से… गंगूबाई के जीवन पर आधारित एस हुसैन जैदी की किताब ‘माफिया क्वीन ऑफ मुंबई’ में इन बातों का जिक्र किया गया है। संजय लीला भंसाली के डायरेक्शन में बनी फिल्म ‘गंगूबाई काठियावाड़ी’ इसी किताब पर आधारित है। इस फिल्म में गंगूबाई के किरदार में आलिया भट्ट नजर आ रही हैं।
इस किताब में एक किस्सा पंडित जवाहरलाल नेहरू से भी जुड़ा हुआ है। जब गंगूबाई जवाहर लाल नेहरू से मिली थीं तो उन्होंने उनसे एक सवाल किया कि क्या आप मुझे मिसेज नेहरू बनाएंगे? इस सवाल के जवाब पर जवाहरलाल नेहरू का कैसा रिएक्शन भी कुछ अलग ही था। पूरा किस्सा क्या है चलिए आपको बताते हैं…
गंगूबाई की कहानी जानने के लिए पहले उसे समझना भी जरूरी है। कहते हैं कि अपराध के दलदल में कोई भी अपनी मर्जी से नहीं उतरता। उसे बुराई की ओर ढकेलती है, उसकी जिंदगी, उसके साथ हो रहा अन्याय। गंगूबाई के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ।
गंगूबाई का असली नाम गंगा हरजीवनदास था। लेकिन धोखे और शोषण ने इस पवित्र गंगा से उसकी मासूमियत छीन ली। गुजरात की गंगा हरजीवनदास कब गंगूबाई बन गई, न उसे पता चला और न ही दुनिया को इसकी खबर हुई।
एक संपन्न परिवार में पैदा हुई गंगा का सपना था कि वह बड़ी होकर ऐक्ट्रेस बने। मां-बाप ने बेटी को बड़े प्यार से पाला। लेकिन कॉलेज के दिनों में गंगा को प्यार हो गया। प्यार गलत नहीं था, लेकिन 16 साल की उम्र में उसे जिससे प्यार हुआ, वो गलत था। यह गंगा की जिंदगी की सबसे बड़ी भूल साबित हुई।
गंगा को उसके पिता के अकाउंटेंट रमनिक लाल से इश्क हो गया। परिवार वाले इसके खिलाफ थे। गंगा को ऐक्ट्रेस भी बनना था। इसलिए वह रमनिक के साथ भागकर मुंबई आ गई। गंगा और रमनिक ने शादी कर ली। लेकिन अभी गंगा मुंबई की चकाचौंध को निहार ही रही थी कि दरिंदे पति रमनिक लाल ने उसे महज 500 रुपये में कमाठीपुरा के एक वेश्यालय को बेच दिया।
जब गंगा की मुलाकात माफिया डॉन करीम लाला से हुई तो उन्होंने गंगा को अपनी मुंहबोली बहन बना लिया। इसके बाद गंगा की जिंदगी बदल दी और यहीं से गंगा के गंगूबाई काठियावाड़ी बनने की कहानी शुरू हुई।
गंगा हरजीवनदास गुजरात के काठीवाड़ की रहने वाली थी। इसलिए लोग इन्हें गंगूबाई काठियावाड़ी पुकारने लगे। वह मुंबई के सबसे नामचीन वेश्यालय की मालकिन बन गई।
हुसैन जैदी की किताब में ये बताया गया है कि गंगूबाई का प्रभाव सिर्फ अंडवर्ल्ड और गैंगस्टर्स तक ही नहीं था बल्कि बड़े से बड़े राजनेता भी उनसे प्रभावित थे। गंगूबाई ने वुमन इम्पावरमेंट समिट में वैश्यावृत्ति के पक्ष में ऐसी स्पीच दी जो काफी सुर्खियों में आ गई। धीरे-धीरे गंगूबाई के चर्चे उस वक्त प्रधानमंत्री रहे पंडित जवाहर लाल नेहरू तक पहुंचे।
जवाहर लाल नेहरू गंगूबाई से काफी प्रभावित थे। उन्होंने मुलाकात के दौरान गंगूबाई से कहा कि उन्होंने यह काम क्यों चुना जबकि वह एक अच्छा पति चुनकर बेहतर जिंदगी गुजार सकती हैं। इस पर गंगूबाई ने नेहरू से पूछा, कि क्या आप मुझे मिसेज नेहरू बनाएंगे? उनके सवाल का जवाहर लाल नेहरू के पास कोई जवाब नहीं था। तब गंगूबाई ने कहा, कि उपदेश देना बहुत आसान होता है लेकिन इसे कर पाना मुश्किल।
गंगूबाई ने अपने जीवन में न सिर्फ सेक्स वर्कर्स के लिए काम किया, बल्कि अनाथ बच्चों के लिए भी सहारा बनी। गंगूबाई ने कई बच्चों को गोद लिया। ये बच्चे या तो अनाथ थे या बेघर। इन बच्चों की पढ़ाई की जिम्मेदारी भी गंगूबाई की थी। गंगूबाई ने सेक्स वर्कर्स के अधिकार और हितों के लिए अपनी आवाज खूब बुलंद की।