कांग्रेस सरकार का सुपोषण अभियान के कारण छत्तीसगढ़ हो रहा है कुपोषण मुक्त

 

 

 

रायपुर/07 जनवरी 2022। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS)-5 के 2020-21 में जारी रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में 5 वर्ष तक बच्चों में कुपोषण की दर 6.4 प्रतिशत कम होने पर कांग्रेस ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार को बधाई दी। प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता वंदना राजपूत ने कहा कि बहुत ही कम समय में ही प्रदेश में कुपोषण की दर में 6.4 प्रतिशत की कमी आई है, इसका श्रेय मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के कुशल नेतृत्व और उनकी दूरदर्शी सोच को जाता है। कांग्रेस सरकार के कुपोषण मुक्ति अभियान में अपार सफलता प्राप्त हो रही है।
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता वंदना राजपूत ने कहा कि पूर्ववर्ती रमन सिंह सरकार ने 15 साल के शासन में कुपोषित बच्चों के ऊपर ध्यान नहीं दिया था 37.7 प्रतिशत बच्चे कुपोषण के शिकार नहीं होते.
प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल ने कहा था कि राज्य में नक्सल से बड़ी समस्या 37.7 प्रतिशत बच्चों के कुपोषित होना है। अगर हम छत्तीसगढ़ के विकास के परिकल्पना करते हैं और हमारे राज्य का आने वाला भविष्य 37.7 प्रतिशत बच्चे कुपोषित रहे तो हमारी विकास की अवधारणा अधूरी है। मुख्यमंत्री माननीय भूपेश बघेल ने बच्चों को कुपोषण से मुक्ति दिलाने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी के 150वीं जयंती के दिन 2 अक्टूबर 2019 को कुपोषण मुक्ति महाअभियान मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान की शुरुआत की, जिसके बेहतर परिणाम मिले हैं।
छत्तीसगढ़ में जनवरी 2019 में हुए वजन त्यौहार में लगभग 4 लाख 33 हजार 541 कुपोषित बच्चों का चिन्हांकन किया गया था। इनमें से नवम्बर 2021 की स्थिति में लगभग एक तिहाई 36.86 प्रतिशत अर्थात एक लाख 59 हजार 845 बच्चे कुपोषण से मुक्त हो गए है। जो कुपोषण के खिलाफ शुरू की गई जंग में एक बड़ी उपलब्धि है। बहुत ही कम समय में ही प्रदेश में कुपोषण की दर में उल्लेखनीय कमी आई है।
मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के प्रदेश में शुरू होने के बाद से लगभग 4 लाख 39 हजार बच्चों और 2 लाख 59 हजार महिलाओं को गरम भोजन और पूरक पौष्टिक आहार से लाभान्वित किया गया है। स्थानीय उपलब्धता के आधार पर महिलाओं और बच्चों को फल, सब्जियों सहित सोया और मूंगफली की चिक्की, पौष्टिक लड्डू, अंडा सहित मिलेट्स के बिस्कुट और स्वादिष्ट पौष्टिक आहार दिया गया। इससे बच्चों में खाने के प्रति रुचि जागी और तेजी से कुपोषण की स्थिति में सुधार आया।

 

Author: Sudha Bag

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