मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ी भाषा के संरक्षण एवं संवर्धन के दिशा में लगातार कार्य कर रहे है, उन्होंने एम.ए. छत्तीसगढ़ी के लगातार मांगी को ध्यान में रखकर स्कूलों में एक विषय पहली से पांचवी में पढ़ाने की घोषणा किया है साथ ही 23 जुलाई 2023 युवाओं के भेंट मुलाकात और गोविन्दपुर (कांकेर) के सम्मेलन में एम.ए. छत्तीसगढ़ी वालों के लिए शिक्षक भर्ती करने की बात कही है जिसके लिए हम एम. ए. छत्तीसगढ़ी छात्र संगठन हृदय से उनका धन्यवाद करते हैं पर कुछ हमारी सरकार से इस विषय में और भी मांगे है जिसे आज हम मीडिया के माध्यम से अवगत कराना चाहते हैं।
सबसे पहिली –
सरकार ने भाषा के संरक्षण के लिए आयोग की स्थापना की है उस आयोग का नाम “छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग” की जगह छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग किया जाना चाहिए क्योंकि छ.ग. भौगोलिक परिदृश्य को प्रदर्शित करता है और छत्तीसगढ़ी भाषायी दशा को ।
दूसरा
अन्य राज्यों में वहां के स्थानीय भाषा में रोजगार का पद सृजित है,
1. विभिन्न विभागों में अनुवादक के रूप में।
2. शासन, प्रशासन में स्थानीय राजभाषा अधिकारी के रूप में।
3. कोर्ट, न्यायालय आकाशवाणी, दूरदर्शन शासकीय हॉस्पिटल, शासकीय संस्थानों में काउंसलर या छत्तीसगढ़ी भाषा सम्वनयक के रूप में।
4. छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग का गठन किया गया है तो इसका राज्य के सभी जिलों अर्थात 33 जिलों में विस्तारित करते हुए एम.ए. छत्तीसगढ़ी डिग्रीधारियों को वहां छत्तीसगढ़ी राजभाषा अधिकारी के रूप में नियुक्ति किया जाना चाहिए।
5. शासन, प्रशासन और आम जनता के बीच स्थानीय भाषा के जानकार के रूप में नियुक्ति एम. ए. छत्तीसगढ़ी डिग्रीधारियों को लेना चाहिए।
6.स्वामी आत्मानंद स्कूलों में भी छत्तीसगढ़ी शिक्षक के रूप में भर्ती लिया जाना चाहिए एम.ए. छत्तीसगढ़ी वाले स्थानीय भाषा के साथ हिंदी पढ़ाने में भी सहयोग करेंगे तो सरकार को इनसे दोतरफा लाभ मिलेगा।
7.एम. ए. छत्तीसगढ़ी सिर्फ विश्वविद्यालय में ही संचालित क्यों उसके सहयोगी महाविद्यालय में जैसे हिन्दी एम.ए. कोर्स होता है वैसे ही लोक संस्कृति के संरक्षण हेतु इसे महाविद्यालय में भी पढ़ाना चाहिए और बेरोजगार एम.ए. छत्तीसगढ़ी वाले के लिए रोजगार की व्यवस्था इस प्रकार की जानी चाहिए।
8.राज्य के विधानसभा मंत्रालय इंद्रावती भवन में भाषा सहायक (छत्तीसगढ़ी) के रूप में भर्ती ।
9.विधायक, मंत्री, मुख्यमंत्री, राज्यपाल के यहां छत्तीसगढ़ी सलाहकार के रूप में भी