रायपुर/19 नवंबर 2021। प्रधानमंत्री मोदी द्वारा कृषि कानून वापस लेने पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि केंद्र के इस निर्णय से देश की जनता और अन्नदाताओं की जीत हुई है। प्रजातंत्र में किसी भी अन्याय के विरोध में किया जाने वाला शांतिपूर्ण जनआंदोलन जरूर सफल होता है और आतातायी अन्यायी शासक को झुकना पड़ता है। जिन किसानों को आतंकवादी, खालिस्तानी समर्थक, न जाने क्या-क्या कहा गया अंततः उनके शांतिपूर्ण आंदोलन के सामने मोदी सरकार को झुकना पड़ गया। इन काले कानूनों को पहले ही वापस ले लेते तो इन कानूनों के विरोध के कारण चलाये जा रहे आंदोलन में देशभर में 600 से अधिक किसानों की जाने नही जाती। आशा है प्रधानमंत्री की यह घोषणा पूरी ईमानदार होगी, इसके पीछे केंद्र सरकार की कोई और छुपी मंशा नही होगी। इन कानूनों को तो संसद में प्रस्तुत करने के पहले जब अध्यादेश के रूप में लागू किया गया था उसी समय वापस ले लेना था। जिस कानून की विसंगतियों और दुष्प्रभाव को समझने में किसानों और देश की जनता को तीन घण्टे भी नही लगे उन काले कानूनों के बुरे प्रभावों को समझने में मोदी सरकार को एक साल से भी अधिक समय लग गया।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि मोदी सरकार ने कृषि कानूनों को बनाने के लिये अलोकतांत्रिक रवैया अपनाया था। पहले तो अध्यादेश के रूप में लागू किया, जब संसद में विधेयक के रूप में पारित कराने की बारी आई तब बहुमत के अतिवाद का प्रदर्शन कर विपक्ष के विरोध को दबाने के लिये मार्शल तक को लगाया गया। राज्यसभा में बिना चर्चा कराये हैवानियत से विधेयक को पारित करवा कर कानून बनाया गया। कृषि कानून बनाने के बाद भाजपा की लगातार हो रही हार और उत्तर प्रदेश, पंजाब सहित पांच राज्यों के चुनावों को देखते हुये केंद्र सरकार इस कानून को वापस लेने बाध्य हुई।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि प्रधानमंत्री कृषि कानून वापस लेने की घोषणा कर नए सिरे से शुरुआत करने की बात कर रहे। लेकिन कृषि कानूनों के विरोध के आंदोलनों में जिन लोगो की जाने गयी है जब तक उनके घावों में मरहम नही लगेगा नए सिरे से शुरुआत कैसे होगी? प्रधानमंत्री मोदी को इन शहीद किसानों, आंदोलनकारियों के परिवारों से सार्वजनिक माफी मांगनी चाहिये तथा मृतकों को उचित मुआवजा भी दिया जाये