दिनांक 10-10-2021 को भनपुरी रायपुर में सामाजिक कार्यक्रम में एक महरा परिवार ने मूल धर्म में वापिस हुए । आदिवासी संस्कृति को मानने वाले छत्तीसगढ़ राज्य के महरा/माहरा समुदाय लगातार अपने आर्थिक तंगदस्ती एवं शासन के उपेक्षाओं के कारण अपने जीवन स्तर को सुधारने के लिए कुछ लोग ईसाई धर्म को मानने लगे थे । छत्तीसगढ़ राज्य के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र बस्तर में महरा /माहरा समुदाय की संख्या ज्यादा है फिर भी शासन इस समुदाय को संवैधानिक लाभ नहीं दे रही है | जबकि महरा समुदाय आदिवासी संस्कृति को आदिकाल से मानते आ रहा है । शासन से पुरजोर मांग के बाद भी गुमराह कर दिया जाता है,जिसके कारण बस्तर संभाग के अलावा मैदानी भाग के महरा समुदाय ईसाई धर्म को अपना लिए थे । अब इन परिवार स्वैच्छिक रूप से समाज से निवेदन करके मूल धर्म को मानने को तैयार हैं।
ऐसे परिवारों को चिन्हित करते हुए मध्यप्रदेश एवं छत्त्तीसगढ़ के महरा समुदाय के प्रमुखजनो के द्वारा पुनः हिन्दू धर्म में वापसी कराने का संकल्प लिया है । महरा समुदाय आदिवासी संस्कृति को मानते हैं और वर्तमान में हिन्दू धर्म में समाहित है।
रायपुर छत्तीसगढ़ में सामाजिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था । जिसमे दोनों राज्य के महरा समुदाय के प्रतिनिधि उपस्थित रहे । ज्ञात हो की महरा समुदाय विगत २५ वर्षो से अनुसूचित जनजाति के मांग को लेकर संघर्षरत है । मांग पूरी नहीं होने से बहुत लोग ईसाई धर्म को अपना लिए थे । शासन के उपेक्षा के शिकार होकर धर्म परिवर्तन कर रहे हैं,इस परिपेक्ष्य में बहुत से महरा समुदाय को समझाइस देकर हिन्दू धर्म में वापिसी कराने का मुहीम चलाया है ।
संयुक्त महरा/माहरा समाज के प्रांतीय अध्यक्ष ईश्वर सिंह सक्सेना के मार्गदर्शन एवं प्रेरणा से धर्म वापसी कार्य को परिणित किया गया है महरा जाति विकास संगठन मध्यप्रदेश के प्रबंध निदेशक
डी.ए.प्रकाश खाण्डे के विशेष सहयोग से महरा समुदाय को मूल धर्म की ओर लौटने का प्रयास किया गया । मूल जाति और मूल धर्म के सामाजिक विचार धारा में आने इस समुदाय का हितार्थ निहित है । इस पुनीत कार्य में अंगद चंद्रवंशी,विजय सहारे ,चित्रांगद अंगारे,दिलीप कौशल,बी.आर.बधेल,हरदेव कौशल,नवरत्न कश्यप रिपबलिकन पार्टी आफ इंडिया (आठवले) के संभाग अध्यक्ष शहडोल नत्थूलाल,माननीय यशवंत ठाकरे (आर पीआई) आदि सैकड़ो महरा समुदाय के व्यक्ति उपस्थित रहे।