प्रदेश शासन के अधीन कार्यरत अनियमित संविदा एवं दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों का नियमितीकरण तथा किसी भी कर्मचारी की छटनी नहीं कि जायेगी सम्मिलित है। वर्तमान में छत्तीसगढ़ राज्य के सत्ता पर आसीन कांग्रेस पार्टी की सरकार को लगभग तीन साल पूर्ण होने जा रहा है। आपने अनियमित, सविदा, एवं दैनिक वेतन भोगियों कर्मियों को रिक्त पदों पर नियमितीकरण करने का वादा किया है उनके हित में किये गये वायदे को साकार करने की दिशा में राज्य शासन द्वारा दिनांक 08.03.2019 को अपर मुख्य सचिव गृह विभाग की अध्यक्षता में तथा संशोधित आदेश दिनांक 11.12.2019 को मनोज कुमार पिंगुआ प्रमुख सचिव छ.ग. शासन वाणिज्य एवं उधोक तथा सार्वजनिक उपक्रम विभाग की अध्यक्षता में 5 सदस्य समिती का गठन किया गया है, उक्त समिति द्वारा दिनांक 09/01/2020 को पारित निर्णय अनुसार विभिन्न अनियमित / दैनिक वेतन भोगी कर्मचारीयों की संख्या प्राप्त करने विधि एवं विधियी कार्य विभाग का परामर्श अभिमत प्राप्त किया जाना एवं पूर्व में गठित द्वारा समिति द्वारा अब तक की गई कारवाई की जानकारी प्राप्त किया जाना है। पूर्व वार्ता डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व में भारतीय जनता पाटी की सरकार के द्वारा भी ऐसी ही कारवाई की जाकर विधि एवं विधायी विभाग से अभिमत परामर्श चाहा गया था किन्तु दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों के हित में उचित परामर्श नहीं दिया गया, आज पुनः वही कारवाई कांग्रेस के शासनकाल द्वारा दोहराया जा रहा है जो स्वस्थ विवेक की दृष्टि से किसी भी प्रकार से बुद्धिमानी का कार्य प्रतीत नहीं होता है अपितु यह तो शासन के अधिन कार्यरत दैनिक वेतन भोगियों कर्मियों के हित में किये गये वायदे को पूरा करने की मंशा पर संदेह उत्पन्न करता है। छत्तीसगढ़ विधानसभा वर्ष 2021 में सम्पन्न हुये मानसून सत्र के दौरान माननीय नेता प्रतिपक्ष महोदय एवं अन्य माननीय सदस्य गणों द्वारा किये गये प्रश्न के उत्तर में माननीय भुपेश बघेल मुख्यमंत्री, छत्तीसगढ़ शासन द्वारा लिखित में अनियमित संविदा, एवं दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों का नियमितीकरण किये जाने तथा किसी भी कर्मचारी की छटनी नहीं किये जाने संबंधीत लिखित जवाब प्रस्तुत किया है। वर्तमान में सम्पूर्ण छत्तीसगढ़ प्रदेश में लगभग संख्या 17500 दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी एवं 30,000 विभागिय संविदा कर्मचारी कार्यरत है। जिन्हें मा. मुख्यमंत्री द्वारा प्रस्तुत लिखित उत्तर अनुसार लाभानवित होना है, चूंकि वर्तमान राज्य शासन का कार्य काल तीन वर्ष पूर्ण होने जा रहा है, किन्तु दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों के नियमितीकरण की दिशा में कोई ठोस कारवाई अब तक नहीं की गई है अतः हम दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी इस प्रेस वार्ता के माध्यम से राज्य शासन का ध्यानाकर्षण कराते है की वर्ष 2008 में जिस तरिका से 31/12 / 1988 एवं 31/12/1997 के पूर्व से वर्ष 2008 तक के बिच में कार्यरत दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को सांख्येत्तर पद सृजन कर नियमितिकरण किया गया था। वैसे हि राज्य शासन के अधीन कार्य कर रहे दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों का जो वर्ष 2008 में किये गये नियमितीकरण के अनुरूप ही 31.12.2008 से 31.12.2018 के बीच में लगतार कार्यरत दैनिक वेतन भोगी कर्मचारीयों को भी नियमितीकरण किया जायें।
नियमितीकरण का लाभ प्रदान किये जाने की दिशा में माह जनवरी 2022 तक आदेश जारी किया जाये तथा नियमितकरण को इस विषय में दिनांक 14 जनवरी 2020 को महाधिवक्ता उच्च न्यायालय बिलासपुर को अभिमत हेतु भेजा गया है। महाधिवक्ता से अनुच्छेद 14 एवं 16 के तहत अभिमत लेकर जनवरी 2022 के पहले जल्द हि अंतिम निर्णय लिया जाये, एवं जनघोषणा पत्र में दिये गये वचनों के अनुसार वन विभाग के वनरक्षक के 299 एवं 1100 रिक्त पदों पर समाहितीकरण किया जावे, क्योंकि वर्षों से कार्य करने वाले दैनिक वेतनभोगी वनरक्ष पद की शैक्षणिक आर्हता रखते हैं, उसी प्रकार दन विकास निगम के अंतर्गत 470 पद रिक्त है, उक्त पदों पर योग्यताधारी दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को कार्य अनुभव एवं योग्यता के आधार पर समाहितीकरण किया जाना चाहिए। हमलोगों के साथ सरकार छलावा कर रहा है और अधिकारी भी सीधी भर्ती को लेकर तत्पर है, दैनिक वेतन भोगियों को ठगने का काम किया जा रहा है, जब विभाग में पद रिक्त ही नहीं रहेगा तो नियमितिकरण किया जाना किस प्रकार संभव होगा। जनघोषणा पत्र में किया गया वायदा घरा का धरा ही रह जायेगा। विभाग के आला अधिकारी बैंक डोर एन्ट्री से दैनिक वेतन भोगियों को कार्य पर रखकर केवल शोषण करने का काम कर रहा है। उक्त सभी दैनिक वेतन भोगियों के लिए वित्त विभाग से अनुमति नहीं लिया गया है, जिसके कारण दैनिक वेतन भोगी नियमितिकरण से वचित हो रहे हैं। प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वनमंत्री महोदय विगत 10 वर्षों से कार्यरत दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों के लिए कार्यभारित एवं आकस्मिकता निधि से सेटअप तैयार कर वित्त विभाग से अनुमति लेकर समायोजन किया जाये।
अपेक्षानुसार कारवाई नहीं होने की दशा में भारत के संविधान एवं शस्त्र की न्यायपालिका द्वारा आम नागरिक को प्रदान किये गये अधिकारों के प्रकाश में हम छ.ग. दैनिक वेतन भोगी बन कर्मचारी संघ तथा अन्य विभाग के दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी संघ विरोध प्रदर्शन करने होंगे। जिसके लिये शासन प्रशासन जिम्मेदार होगा।