चमोली त्रासदी ने उत्तराखंड और गंगा नदी में परमाणु विकिरण की गंभीर चिंता पैदा कर दी है। इस चिंता का कारण यह है कि 1965 में उत्तराखंड में नंदा देवी पर्वत के शिखर पर रडार सिस्टम स्थापित करने के दौरान एक प्लूटोनियम पैक खो गया था, जो आज तक नहीं मिला है।
पर्यावरण विशेषज्ञों की चिंता है कि अगर चमोली में ग्लेशियर टूटने से इस प्लूटोनियम पैक को कोई नुकसान हुआ, तो इससे उत्तराखंड राज्य और गंगा नदी के जल में गंभीर परमाणु विकिरण का प्रदूषण पैदा हो सकता है। इससे पर्यावरण के साथ-साथ जनता को भी भारी नुकसान हो सकता है। उत्तराखंड सरकार ने इसे खोजने के लिए अपनी चिंता जाहिर की है।