प्रकाश राज का एक वीडियो चर्चा में है। इसमें उन्होंने बताया है कि वह मोदी सरकार से इतने खफा क्यों रहते हैं। उन्होंने राम मंदिर के बारे में बात की और यह बोला कि रामभक्तों से दिक्कत नहीं है लेकिन अंधभक्तों से है। प्रकाश राज हिंदी भाषा पर भी बोले और बताया कि वह इसे सब पर थोपने के खिलाफ क्यों हैं। वह बोले कि 2014 से पहले से ही जो लोग खतरा भांप गए थे वे नाराज रहते हैं। प्रकाश राज ने यह वीडियो खुद पोस्ट किया है साथ में लिखा है कि अगर आप सहमत हैं तो इसको शेयर करें।
‘मुझे अंधभक्तों से दिक्कत है’
प्रकाश राज इस वीडियो में वह बोल रहे हैं, मुझे गंदी राजनीति नहीं पसंद है। देखिए आज वे लोग राम मंदिर बना रहे हैं। मुझे रामभक्तों से कोई दिक्कत नहीं है। मुझे यीशु या अल्लाह भक्तों से भी दिक्कत नहीं है। मुझे दिक्कत है अंधभक्तों से। इसमें फर्क है। किसी को एक आस्था की जरूरत है, मैं उन्हें जज करने वाला कौन होता हूं। लेकिन अगर इसे कोई राजनीति के लिए इस्तेमाल करता है तो आपको आवाज उठानी पड़ेगी। इस तरह का फासीवाद, इस तरह का अजेंडा जहां देश एक संघीय ढांचा होना चाहिए, कोई इसे एक अलग विचारधारा के लिए एक राष्ट्र बनाना चाहता है तो मैं असहज हो जाता हूं। वे जो भी हैं मैं उनके खिलाफ हूं। आप बहुत सी पॉलिटिकल पार्टीज भी हैं जो थोड़ी सॉफ्ट हैं।
मोदी के आने के बाद बटा देश?
एंकर ने सवाल किया कि क्या उन्हें लगता है कि मोदी के आने के बाद साउथ-नॉर्थ बंट गया। इस पर प्रकाश राज बोले, उनकी पॉलिटिक्स यही है। फूट डालो राज करो। मैं एक उदाहरण देता हूं, सब कुछ स्पेशल है। जब सब साथ होता है तो एक इकोसिस्टम बनता है। डेमोक्रेसी को अगर आप संघ की नजर से देखते हैं तो यह सिर्फ दिमाग से नहीं आती। पृथ्वी के जीवों में मनुष्य सिर्फ एक प्रजाति है। बहुत सारी दूसरी चीजें भी इसका हिस्सा हैं। जब आप बोलते हैं, मैं बड़ा हूं तो गलत है। अगर मेजोरिटी ही सबकुछ है तो गाय राष्ट्रीय पशु होनी चाहिए। टाइगर क्यों है? कौआ राष्ट्रीय पक्षी होना चाहिए मोर क्यों नहीं है।
‘बातों और मंशा में फर्क है’
प्रकाश बोलते हैं, क्योंकि इनमें कुछ खासियत है। वे लोग सेक्युलर होने की बात करते हैं, वे सबका साथ, सबका विकास की बात करते हैं। बोलते अलग हैं पर मन में कुछ और है। उनके अंदर एक अलग अजेंडा है। तूफान के पहले की शांति क्या है, वो हम 2014 के पहले से देख रहे हैं, जो लोग इसको पहले से देख पाए, वही इसके खिलाफ हैं। इस पर बात कर रहे हैं।
‘आप क्यों थोप रहे हैं हिंदी’
प्रकाश बोले, लोगों को यह बात समझाना बड़ी लड़ाई है। हर इंस्टिट्यूशन, हर राज्य हिंदी के बारे में बात कर रहा है। मुझे किसी भाषा से नफरत नहीं है। लेकिन बात ये है कि आप मुझसे जबरदस्ती नहीं कर सकते। हमें ये भाषा क्यों सीखनी चाहिए। क्या आप चाहते हैं कि हम भाषा सीखें और अपनी समस्याएं आपकी भाषा में बताएं। या हमें आपकी भाषा समझनी और सुननी है। इसमें बहुत बारीक अंतर है। यह राष्ट्रीयता का फेक नैरेटिव है। जो लोग इन चीजों को पहले समझ सकते हैं यह उनके लिए थोड़ा खतरनाक है। हम इसलिए नाराज रहते हैं।