कार्तिक माह भगवान विष्णु को समर्पित माना जाता है इसे अक्षय नवमी के रूप में भी जाना जाता है जप तप करने से हजारों गुनाअधिक पुण्य प्राप्त होता है*
पूरा कार्तिक महीना भगवान विष्णु को समर्पित है हमारे यहां छत्तीसगढ़ में कार्तिक स्नान की परंपरा प्रत्येक गांव में प्रचलित है लोग पूरे माह भर कार्तिक स्नान करते हैं यह सिलसिला कार्तिक पूर्णिमा तक चलता है शुक्ल पक्ष नवमी को आंवला नवमी के रूप में मनाया जाता है इसे अक्षय नवमी के नाम से भी जाना जाता है इस दिन जप, तप, ध्यान और दान आदि का अत्यधिक महत्व है साधक को सैकड़ों गुना अधिक पुण्य की प्राप्ति होती है यह बातें श्री दूधाधारी मठ एवं श्री शिवरीनारायण मठ पीठाधीश्वर राजेश्री डॉक्टर महन्त रामसुन्दर दास जी महाराज ने आंवला नवमी के अवसर पर अभिव्यक्त की प्रातः कालीन बेला में मठ मंदिर में मंगल श्रृंगार आरती पूर्ण होने के पश्चात राजेश्री महन्त जी मठ मंदिर के पुजारियों, संत -महात्माओं एवं श्रद्धालुओं सहित मठ मंदिर के नर्सरी में स्थित आंवला वृक्ष के पूजन के लिए उपस्थित हुए यहां हरि नाम संकीर्तन के साथ विधिवत पूजा-अर्चना संपन्न हुआ आंवला वृक्ष में जल, दूध, सिंदूर, चंदन अर्पित करके आरती की गई! भगवान श्री हरी, बालाजी का जय बुला करके भोग अर्पित किया गया तत्पश्चात आंवला वृक्ष की श्री राम जय राम जय जय राम कीर्तन करते हुए सात परिक्रमा पूर्ण की गई और भोग लगने के पश्चात सभी श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरण किया गया इस संदर्भ में राजेश्री महन्त जी महाराज ने कहा कि कार्तिक पवित्र माह माना गया है। यह भगवान विष्णु को समर्पित है। इस महीने में पूजा अर्चना जप तप करने से भगवान नारायण प्रसन्न होते हैं और जीव को मोक्ष की प्राप्ति होती है। आंवला नवमी के दिन आंवला वृक्ष के नीचे भजन पूजन के पश्चात भोजन प्रसाद ग्रहण करने पर घर में भंडार हमेशा भरा रहता है। आंवला नवमी पूजन के कार्यक्रम में विशेष रुप से श्री दूधाधारी मठ के आचार्य कृष्ण बल्लभ शर्मा, मुख्तियार राम छवि दास जी, नागा जी महाराज, पुजारी राम तीरथ दास जी, राम प्रिय दास जी, राम अवतार दास जी, राम मनोहर दास जी, राम कीर्ति दास जी, मीडिया प्रभारी निर्मल दास वैष्णव, उमेश गिरी गोस्वामी, वीरेंद्र वैष्णव, नंदलाल फेकर सहित अनेक गणमान्य जन उपस्थित थे।