लीवर ट्रांसप्लांट और बढ़ती लीवर बीमारियों पर चर्चा

हास्पिटल के लीवर ट्रांसप्लांट फिजिशियन डॉ. भाविक शाह ने बताया कि आजकल लीवर की बीमारियां सामान्यतया बहुत ही ज्यादा होने लगी है, स्पेशिफिकली क्रॉनिक लीवर डिजीज, जिसका मोस्ट कॉमन कॉज ज्यादा एल्कोहल कंजम्प्शन है, पहले अल्कोहल जनित बीमारियों में हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी एकदम कॉमनली हुआ करते थे, लेकिन अब उनको फिलहाल फैटी लीवर और लीवर संबंधी मेटाबोलिक बीमारियों ने रिप्लेस कर दिया है, लीवर की कोई भी बीमारी जब शुरू होती है, तो उसमें प्रारंभ में केवल फैटी लीवर होना ही पाया जाता है, जो आगे चलकर फाइब्रोसिस और फिर उसके बाद लीवर सिरहोसिस में तब्दील हो जाता है।

फैटी लीवर और फाइब्रोसिस को तो दवाइयों, परहेज तथा एक्सरसाइज आदि से रिवर्स किया जा सकता है, लेकिन लीवर सिरहोसिस को रिवर्स करना अत्यंत ही मुश्किल काम होता है, लीवर सिरहोसिस होने के कारण ही खून की उल्टी, पीलिया, पेट में पानी भरना, ब्रेन में इफेक्ट और लीवर कैंसर हो सकता है, ऐसी स्थिति बन जाने के बाद दवाइयां से इन बीमारियों को कुछ सिर्फ कुछ समय तक के लिए ही रोका जा सकता है, लेकिन अंततोगत्वा केवल लीवर ट्रांसप्लांट सर्जरी कराना ही इस बीमारी का एकमात्र परमानेंट इलाज है, अपोलो मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल, कोलकाता में 6 साल काम करने के बाद श्री नारायणा हॉस्पिटल में विगत 4 सालों में हमने यहाँ पर एक “स्टेट ऑफ आर्ट गैस्ट्रो एडवांस्ड एंडोस्कोपिक और हैपेटोलॉजी सेंटर” इस्टैबलिश्ड किया है, जिसमें लीवर की मामूली सी मामूली बीमारियों से लेकर एडवांस लीवर ट्रांसप्लांट सर्जरी जैसी अति आधुनिक सुविधाएं एक ही छत के नीचे इस हास्पिटल में उपलब्ध हैं.

श्री नारायणा हास्पिटल के मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ सुनील खेमका ने इस अवसर पर बताया कि “लीवर की बीमारी अब वर्तमान में एक बहुत ही आम सी बीमारी बन गई है, लीवर की विभिन्न प्रकार की बीमारियां जैसे हेपेटाइटिस बी, हेपेटाइटिस सी, लिवर सिरोसिस एवं लीवर कैंसर के पेशेंट वर्तमान में लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं, जिसकी मुख्य वजह खाने-पीने की चीजों में मिलावट होना, फास्ट फूड या ब्रेवरेज में आर्टिफिशियल रंग, प्रिजर्वेटिव्स या स्वाद बढ़ाने वाले विभिन्न हानिकारक केमिकल आदि का ज्यादा उपयोग होना है, जो कि लीवर कैंसर होने का प्रमुख कारक है, इन सभी वजहों से भविष्य में लीवर ट्रांसप्लान्ट जैसी जटिल सर्जरी कराने की आवश्यकता कुछ ज्यादा ही होने की संभावना है”।

इस समय मध्य भारत में छत्तीसगढ़ एक प्रमुख मेडिकल हब के रूप में उभर रहा है, यहां पर किडनी ट्रांसप्लांट और लीवर ट्रांसप्लांट आदि तो कॉमनली हो ही रहे हैं, परंतु भविष्य में यहाँ पर कैडवरिक लिंब ट्रांसप्लांट (हाथ पैर एवं अन्य ऑर्गन्स का ट्रांसप्लांट) तथा हार्ट ट्रांसप्लांट भी अतिशीघ्र ही प्रारंभ होगा, केंद्र शासन यदि रायपुर को इंटरनेशनल हवाई सेवाओं से डायरेक्ट जोड़ देता है, तो हमारा छत्तीसगढ़ मेडिकल टूरिज्म के क्षेत्र में निश्चित रूप से अपना स्थान बनाने में कामयाब होगा, क्योंकि “यहाँ रायपुर में मेडिकल एक्सपेस, मेट्रो शहरों के कम्पेरीजन में आधे से भी कम हैं।

 

Author: Sudha Bag

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