रायपुर में भी जबरदस्त प्रदर्शन, जलाई सी ए ए की प्रति ।

शहीद अशफाकुल्ला खां, रामप्रसाद बिस्मिल, रोशन सिंह की शहादत दिवस पर 19 दिसम्बर 2019 , गुरुवार को नागरिक कानून संशोधन कानून व एन आर सी के खिलाफ देशव्यापी प्रतिरोध के तहत शाम 4 बजे अम्बेडकर प्रतिमा, घड़ी चौक, रायपुर में वाम दलों, नागरिक संगठनों, ट्रेड यूनियनों, सामाजिक संगठनों, लेखक, रंगकर्मी, पत्रकार और समाज के हर हिस्से के नागरिकों ने NO CAA, NO NRC तथा जनता को विभाजित करने वाली विभाजनकारी राजनीति व असम, नार्थ ईस्ट, अलीगढ़, जामिया व देश भर में छात्रों, आम नागरिकों पर पुलिसिया बर्बरता के खिलाफ संविधान की हिफाजत में जबर्दस्त नागरिक प्रतिरोध आयोजित किया और इसके जरिए धर्म केआधार पर नागरिकता के असंवैधानिक कानून को वापस लेने की मांग की । माकपा नेता धर्मराज महापात्र ने कहा कि इसमें छात्र, युवा, महैला, श्रमिक सभी वर्गो व समुदाय के लोग शिरकत किए और इस कानून को संविधान की मूल आत्मा की हत्या करार दिया । प्रदर्शन में माकपा, भाकपा, भाकपा माले के अलावा सीटू, एस टी यू सी, जलेस, प्रलेस, बी जी वी एस, एपसो,जमायते इस्लामिया हिन्द, नागरिक संघर्ष समिति, एस एफ आई, जमस और अन्य अनेक संगठनों के साथी शिरकत किए । प्रदर्शनकारियों को धर्मराज महापात्र, विनय शील व शब्बीर अली ने इस कानून के पहलुओं से अवगत कराया।

वक्ताओं ने मोदी-शाह की भाजपा सरकार के इस कदम को भारतीय संविधान और गणतंत्र की उन बुनियादी धर्मनिरपेक्ष-जनतांत्रिक प्रस्थापनाओं के ही खिलाफ बताया है, जो धर्म या क्षेत्र के आधार पर न नागरिकता तय करती है और न एक इंसान के रूप में उनसे कोई भेदभाव करती है। यह कानून समानता के अधिकार की गारंटी देने वाले अनुच्छेद-14 और 21 के भी खिलाफ है।

वक्ताओं नेताओं ने आरोप लगाया है कि संघ नियंत्रित भाजपा सरकार भारत में हिटलर के उन कानूनों को लागू करने की कोशिश कर रही है, जिसके जरिये उसने नस्लीय घृणा के आधार पर समूचे यहूदी नस्ल का सफाया करने की कोशिश की थी। धार्मिक घृणा पर आधारित नागरिकता विधेयक और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर इस देश में सांप्रदायिक विभाजन और सामाजिक तनाव को बढ़ाने का ही काम करेंगे, जो देश की एकता-अखंडता के लिए खतरनाक है और देश के बहुलतावादी चरित्र को नष्ट करने का प्रयास है। यह कदम स्पष्ट रूप से मुस्लिमों को नागरिक-अधिकारों से वंचित करके *हिन्दू राष्ट्र* के राजनैतिक परियोजना को आगे बढ़ाने का ऐसा प्रयास है जिसे हमारे देश की जनता और स्वाधीनता संग्राम के नायकों ने कभी स्वीकार नहीं किया है।

नागरिकता के संबंध में इस सरकार द्वारा उठाये जा रहे कदमों से साफ है कि वह इस देश की जनता पर धर्मनिरपेक्ष संविधान की जगह मनुस्मृति को लागू करना चाहती है । उन्होंने कहा कि यह भारत की अखंडता और अनेकता में एकता की बुनियाद पर ही हमला है । वक्ताओं ने पूरे देश में सरकार पर लोकतंत्रिक प्रतिरोध को कुचलने का आरोप लगते हुए जामिया, अलीगढ़, बनारस, मद्रास, हैदराबाद ,लखनऊ विश विद्यालय में छात्रों पर दामन की तीव्र निन्दा की । वक्ताओं ने कहा कि पूरे देश में अघोषित आपतकाल की स्थिति बन दी गई है, कर्नाटक, यू पी, दिल्ली में 144 लगा दिया गया, मेटर बंद, इंटरनेट बंद कर दिए गए, सीताराम येचुरी, योगेन्द्र यादव, इतिहासकार रामचंद्र गुहा जैसे सैकड़ों लोगों को हिरासत में लिया गया, इसके बावजूद गुजरात से लेकर गुवहाटी और कश्मीर से कन्याकुमारी तक लाखो लोग सड़क पर उतरे और यह ऐलान किया कि गांधी, भगतसिंह, अशफ़ाक, आज़ाद, बिस्मिल जैसे लोगो की बलिदान से प्राप्त आज़ादी और हमारे संविधान के बुनियाद पर हमला स्वीकार नहीं किया जाएगा ।

वक्ताओं ने कहा कि देश के सामने जो अभूतपूर्व आर्थिक संकट खड़ा है, उससे आम जनता का ध्यान हटाने के लिए भी यह विभाजनकारी खेल खेला जा रहा है। वामपंथी पार्टियां देश के संविधान और उसके धर्मनिरपेक्ष-जनतांत्रिक स्वरूप और इस देश के बहुलतावादी चरित्र को बचाने के लिए सभी जनवादी ताकतों को साथ लाकर देशव्यापी प्रतिरोध आंदोलन विकसित करेगी और सांप्रदायिक घृणा की ताकतों को शिकस्त देगी। प्रदर्शन का नेतृत्व धर्मराज महापात्र, एम के नंदी, प्रदीप गाभने, एस सी भट्टाचार्य, आर डी सी पी राव, शब्बीर अली, सौरा यादव, नरोत्तम शर्मा, ओ पी सिंह सहित अन्य साथी कर रहे थे । अंत में लोगो ने अशफ़ाक़ुल्ला खान, रामप्रसाद बिस्मिल और रोशन सिंह जिन्हें अंग्रेजी हुकूमत ने आज ही 1927 में फांसी की सजा दी थी उनको याद करते हुए संकल्प लिया और कहा कि देश की आजादी में और इसके धर्मनिरपेक्ष चरित्र के गठन में स्वाधीनता संग्राम की इस गौरवशाली विरासत की रक्षा करने के प्रति हम कटिबद्ध हैं । 

Author: Sudha Bag

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *