पुत्री का शाहिद पिता के स्मारक से अपार प्रेम ।

14 दिसंबर 2019। कई हज़ार शब्दों के मुक़ाबिल बस एक तस्वीर काफ़ी होती है । ये कुछ तस्वीरें हाथ में आईं तो बस देखते ही रह गए । तस्वीरों के साथ कुछ ब्यौरा था । यह तस्वीर तक़रीबन एक साल की होती बिटिया की है, जो शहीद पापा का जन्मदिन मना रही थी । घुटनों के बल चलती बिटिया अपने पापा की प्रतिमा के पास पहुँची और प्रतिमा का सहारा लेते खड़ी हुई । बिटिया ने पापा की उस प्रतिमा को गले से लगाया, गालों को छूआ और तुतलाते हुए थोड़ा अटक कर उसने कहा
“पापा.. जै जै”

यह तस्वीरें जो आपको ठिठका दें, आपकी भावनाओं को झांझीड दे, आप की आँखों को नम सा कर दें, यह तस्वीरें वैसी ही हैं । 
यह शहीद सब इंस्पेक्टर मूलचंद्र कंवर की प्रतिमा है, जो उनके गृहग्राम घनाडबरी में स्थापित है। शहीद मूलचंद्र कँवर 12 अगस्त 2013 को पुलिस विभाग में शामिल हुए थे । मूलचंद्र की पहली पोस्टिंग ज़िला नारायणपुर थी ।शहीद मूलचंद्र ने सघन नक्सल प्रभावित इलाक़े में अदम्य वीरता और उत्साह के साथ काम किया था । कई सफल मुठभेड़ों और हथियारों की बरामदगी का ब्यौरा मूलचंद्र के खाते दर्ज है ।

24 जनवरी 2018 को थाना ओरछा के अबूझमाड ईलाके में नक्सलियों की माँद में घूसकर चुनौती देते हुए नक्सलवादीयों ने घात लगाकर हमला किया, लेकिन मूलचंद्र ने इस कदर जवाबी फ़ायरिंग खोली कि, नक्सलियों को उनके गढ़ में ही पीछे हटना पड़ गया ।नक्सलियो को भागना तो पड़ा लेकिन इस दौरान लगी गोली ने मूलचंद्र को शहीद कर दिया ।
जनवरी में जब मूलचंद्र शहीद हुए तो उन्हे प्रतिमा में तलाशती और दुलारती यह बिटिया गर्भ में थी । मूलचंद्र की शहादत के ठीक नौ महिने बाद तीन सितंबर 2018 को बिटिया ने धरती पर आँखें खोलीं । नाम दिया गया “वनिया कँवर”।

13 दिसंबर को शहीद मूलचंद्र कँवर का जन्मदिन था ।गाँव के ग़ौरव का सबब मूलचंद्र की प्रतिमा लगाई गई है ।बिटिया ने अपने पापा की प्रतिमा से गले लगकर उन्हें जन्मदिन की बधाई दी । जो यह पिता पुत्री का प्रेम और मिलन देख रहे थे, वे सब भावुक हो गए थे और होना भी चाहिए  । 

Author: Sudha Bag

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