बसंत ऋतु की तरह है बसंत की कहानी ।

 

आइये आज जानते है एक और प्रेरणादायक शख्शियत के बारे में जिनका नाम है बसंत साहू । जो धमतरी – कुरूद निवासी है । 90% दिव्यांग होते हुए भी आज एक आत्मविश्वास से भरी जिंदगी जी रहे है। बसंत खुद से कोई कार्य नहीं कर सकते, सिर्फ सीधे हाथ की उंगलियां कार्य करती है ,जिसे वो अपनी सारी ख्वाहिशें, सपने,भावनाएं,एहसास और खुद को भी अपनी चित्रकारी से केनवास पर उतारते है । पहले बसंत एक आम जिंदगी जीते थे, पर एक दुर्घंटना में इन्होंने अपना सब कुछ खो दिया पर हिमत नहीं खोई । जन्म से दिव्यांग होना और किसी दुर्घंटना की वज़ह से दिव्यांग होने में बहुत ज्यादा अंतर होता है । आज खुद को उन्होंने एक चित्रकार के रूप में ढाल लिया है और अब यही इनकी पूरी दुनियां है । बहुत सारे संघर्षों के बाद आज उनकी खुद की एक अनोखी पहचान है और बहुत सारी उपलब्धि भी जिसमें से एक कि चर्चा उन्होंने हमसे की है ।

बसंत कुमार साहू की पेंटिंग को प्रदर्शनी द्वारा गत माह राष्ट्रपति भवन में लगाई गई थी । उप संचालक समाज कल्याण ने बताया कि बसंत दिव्यांग होने के बावजूद उम्दा चित्रकार हैं । उनकी एक श्रेष्ठ पेंटिंग का प्रदर्शन राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन में किया गया, जिसकी राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद द्वारा प्रशंसा भी की गई । उन्होंने बताया कि पेंटिंग के प्रदर्शन को देखते हुए संचालनालय समाज कल्याण द्वारा भविष्य में ओर अच्छा सृजन करने के लिए प्रोत्साहित किया गया ।

बसंत कहते है कि वो सभी बच्चों में, युवाओं में, हर उस इंसान में साहस भरना चाहते है जो थोड़ी मुसीबतों में अपने आप को कमजोर पाते है । हिम्मत हार कर गलत दिशा में चले जाते है, जबकि बच्चों की एनर्जी 10 से 18 साल की उम्र में बहुत उफान पर होती है, अगर उसे वक़्त रहते हम सही सलाह दे तो बहुत कुछ अच्छा कर सकते है । उनकी शिक्षा के साथ यदि हम उसे जीवन की सिख भी दे कि हालात कुछ भी हो हम जीवन को बेहतर से बेहतर बना सकते, अपने खुद के दम पर, तो उनमें कभी भटकाव नहीं आ सकता । अक्सर मैंने देखा है कई बार युवाये नशे की तरफ रुझान दे रहे है, इस भाग दौड़ की जिंदगी में एकाग्र हो कर मेहनत करने के बजाए क्रोधित हो कर अपना ही नुकसान कर रहे है । इसकी वज़ह कही न कही संकल्प शक्ति की कमी, और मन विचलित करने के अनेकों साधन है । हम कम से कम आने वाली पीढ़ी को जागरूक कर ले ताकि उनकी सकारात्मक ऊर्जा का सही स्तेमाल हो सकें । जो बीत गया सो बीत गया, पर कम से कम हम अपनी आने वाली पीढ़ी को तो कुछ अच्छा दे जाएं बस इसी आशा से बसंत अपनी यात्रा को आगे बढ़ा रहे है ।

 

श्रीमती यशा ¥ की रिपोर्ट 🖋️

Author: Sudha Bag

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